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कहानीकार द्वारा कहानी के प्रसंगों या पात्रों के मानसिक द्वंद्रों के विवरण के दृश्यों की नाटकीय प्रस्तुति में काफी समस्या आती है। इस कथन के संदर्भ में नाट्य रूपांतरण की किन्हीं तीन चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।

प्रश्न. कहानीकार द्वारा कहानी के प्रसंगों या पात्रों के मानसिक द्वंद्रों के विवरण के दृश्यों की नाटकीय प्रस्तुति में काफी समस्या आती है। इस कथन के संदर्भ में नाट्य रूपांतरण की किन्हीं तीन चुनौतियों का उल्लेख कीजिए। उत्तर.  नाट्य रूपांतरण की चुनौतियां • पात्रों के मनोभावों की • मानसिक द्वंद्व के दृश्यों की • पात्रों की सोच के प्रस्तुतीकरण की उदाहरण के लिए ईदगाह कहानी का वह हिस्सा जहाँ हामिद इस द्वंद में है कि क्या खरीदे, क्या ना खरीदे

बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?

बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण इसलिए थी क्योंकि वे सुबह उठकर दो मील दूर नदी में स्नान करने जाते थे। किसी भी मौसम का कोई भी असर उन्हें रोक नहीं पाता था। दोनों समय ईश्वर के गीत गाना, ईश्वर की साधना में लगे होते हुए भी गृहस्थी के कार्यों से वे कभी भी विरत नहीं हुए। प्रत्येक वर्ष गंगा स्नान के लिए जाना और संत समागम में भाग लेना उन्होंने अंत समय तक नहीं छोड़ा।

प्रधानाचार्य को छात्रवृत्ति के लिए एक आवेदन - पत्र लिखिए

प्रधानाचार्य महोदय  दिल्ली पब्लिक स्कूल आर ० के ० पुरम , नई दिल्ली विषय : छात्रवृत्ति के लिए आवेदन   माननीय महोदय , कल प्रार्थना सभा में हुई उद्घोषणा में यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि विद्यालय के उन छात्र - छात्राओं को विद्यालय की ओर से छात्रवृत्तियाँ दी जाएँगी जो नब्बे प्रतिशत तक अंक प्राप्त करने के साथ - साथ किसी - न - किसी सास्कृतिक गतिविधि में भी विशेष योग्यता रखते होंगे । विनम्र निवेदन है कि मैं उपर्युक्त सभी शर्तों को पूरा करता हूँ । अतएव मुझे छात्रवृत्ति प्रदान करने की कृपा करें ।  महोदय , पिछले वर्ष मैंने नब्बे प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे तथा अंतर्विद्यालयी वाद - विवाद तथा भाषण प्रतियोगिताओं में चार पुरस्कार भी प्राप्त किए थे । यही नहीं स्कूल की क्रिकेट टीम का मैं कैप्टन भी हूँ तथा पिछले वर्ष मैंने सबसे अधिक रन बनाने का नया रिकॉर्ड भी कायम किया है । मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं आपको इससे भी अधिक बेहतर छात्र बनकर दिखाऊँगा ।  आशा है आप मुझे छात्रवृत्ति की उपर्युक्त सुविधा प्रदान करके अनुगृहीत करेंगे । मैं जीवनभर आपका आभार मानूँगा । सधन्यवाद  आपका आ...

प्रकाश प्रदूषण के खतरे

बचपन में जब मैं गर्मी की छुट्टियों में नाना - नानी के पास गाँव जाता था तो वहाँ खुली छत में सोने का मौका मिलता । वह चाँद - तारों की कहानियाँ सुनाती , मैं देर तक सुनता । उस समय घोर कालिमा में भी आकाश में तारे स्पष्ट दिखाई देते । वहाँ मैंने तारा समूहों को पहचानना सीखा । ऐसा लगता गाँव की जमीन आसमान के ज्यादा समीप है जबकि शहर में ऐसा नहीं हैं । बहुत दिनों बाद पता चला कि शहर में अत्यधिक प्रकाश व प्रदूषण के कारण आकाश स्पष्ट नहीं दिखाई देता । रोशनी मनुष्य निर्मित ऐसी समस्या है जो वास्तव में सम्पूर्ण प्राणी जगत को धीरे - धीरे अँधेरे में ढकेल रही है । आज दिन ढलते ही हम सभी कृत्रिम रोशनी का उपयोग करते हैं । चारो ओर फैली यह चकाचौंध रोशनी हमारे वातावरण में प्रकाश प्रदूषण का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है , जो वायु तथा जल प्रदूषण जितना ही खतरनाक है । आवश्यकता से अधिक फैलाए गए कृत्रिम प्रकाश के अन्तर्गत राष्ट्रीय तथा राजमार्गों की लाइटें , शहरों तथा गाँवों में लगी जरूरतों से ज्यादा स्ट्रीट लाइटें , जगमगाते बाजार , मॉल्स , विज्ञापन बोर्ड , वाहनों , घरों तथा दफ्तरों की लाइटें शामिल हैं । वर्ष 2016 में ...

शेर और चूहा की कहानी | sher aur chuha ki kahani hindi mein

एक बार एक सिंह एक वृक्ष की छाया में गहरी नींद में सोया हुआ था । सारे दिन वह शिकार की तलाश में इधर - उधर भटका था । वह बहुत थका हुआ था । एक चूहा अपने बिल से बाहर आया और सिंह के शरीर पर घूमने लगा । सिंह की नींद टूट गई और उसे बड़ा क्रोध आया । उसने चूहे को अपने पंजे से दबाया और कहा , " बताओ तुमने मुझे क्यों जगाया है ? मैं तुम्हें मार डालूँगा । " बेचारा चूहा भय से काँपने लगा । उसने सिंह से कहा , " यदि आप मुझे जीवित छोड़ दें तो शायद मैं कभी आपके काम आ जाऊँ । यदि ईश्वर ने चाहा तो मैं आपकी इस कृपा का ऋण चुका दूँगा । " सिंह इस पर हँसा और उसने चूहे को छोड़ दिया । कुछ समय पश्चात् वह सिंह एक जाल में फँस गया । उसने जाल से बाहर निकलने का बहुत प्रयास किया परन्तु सफल नहीं हो पाया । जब चूहे को उसके बारे में ज्ञात हुआ , वह वहाँ गया । उसने जाल को धीरे - धीरे कुतर डाला और सिंह को मुक्त कर दिया । शिक्षा –................। Comment kare

बचपन का दौर | बचपन की यादें कविता | childhood memories

मैं प्रिंस अपने ब्लॉग में  आपका स्वागत करता हूं । आज मै आपके लिए एक कविता के साथ हाजिर हूं जिसका नाम बचपन का दौर ( बचपन की यादें कविता ) है । बचपन ही केवल एक ऐसा समय होता है जब हमें किसी की चिंता फिक्र नहीं होती है । घर में क्या चल रहा और दुनिया में क्या हो रहा है इससे हमें कोई मतलब नहीं होता है । हम तो केवल अपने में ही मदमस्त हैं । छोटी– छोटी चीजों के लिए मम्मी से जिद करना कि हमेंं केवल यही चाहिए । अपने परिवार से रूठना मनाना यह तो बचपन में कितना अच्छा लगता है । अपने दोस्तों के साथ खेलते कूदतेेे दिन कैसे पार गया पता ही नही चलता है और शाम को भोजन करते ही नींद का आना यही तो जिंदगी थी । अगर हम अपने बचपन की यादों को सोचते है तो कितना अच्छा लगता है मन करता है एक बार और बचपन कि जिंदगी जीने को मिल जाती । बचपन की यादें कविता वो बचपन का दौर जो बीता, जिंदगी का सबसे पल था वो मीठा, कितनी प्यारी लगती थी दादी और नानी, जो हमको सुनाती थी किरसे और कहानी, छोटी – सी खुशियों में हँसना और रो देना घर वाले भी हमसे करते थे दिल्लगी । कहते मीठा फिर खिलाते जो तीखा, वो बचपन का दौर जो बीता, ...

प्लास्टिक सर्जरी क्या है ?

उत्तर. वास्तव में प्लास्टिक सर्जरी ऑपरेशन नहीं होता है । इसका मतलब कास्टमेटिक सर्जरी से होता है । प्लास्टिक सर्जरी में शरीर के एक स्थान से त्वचा हटाई जाती है और दूसरे स्थान पर जमाई जाती है । इसमें त्वचा की केवल ऊपर की दो परतें ली जाती हैं क्योंकि इसमें जगह जीवन रहने की अधिक क्षमता नहीं रहती है ।

विश्व का सबसे गरीब देश कौन सा है ?

उत्तर. विश्व का सबसे गरीब देश भूटान है ।

कौन सा कबूतर है, जिसकी छाती पर लाल धब्बा होता है, जो बिल्कुल खून की तरह होता है ?

फिलीपींस में पाए जाने वाले कबूतर लुजान के रक्त स्त्रापक हृदय पर ।

किस जीवाणु की एक बोतल मात्र से पूरी दुनिया नष्ट की जा सकती है ?

टुलारेमिया

विश्व की सबसे लंबी सुरंग कहां पर है

माउंट ब्लॉक, फ्रांस इटली तक, 12 मील

भारत की सिविल प्रक्रिया संहिता में कितनी धाराएँ हैं

भारत की सिविल प्रक्रिया संहिता में 484 धाराएँ हैं

एवरेस्ट की चोटी पर । on top of mount everest class 4 ch 2 Hindi

परिचयात्मक प्रश्न – साहसी किसे कहते है ? क्या साहसी कभी हार मानते है ? प्रतिबिंब - बालकों में संकल्प शक्ति से कठिन कार्यों को भी करने व करते रहने के प्रेरक भाव जाग्रत करता है । परिकल्पना – क्या आपने साहसी पर्वतारोही तेनजिंग और हिलेरी के साहसिक कार्यों के विषय में पढ़ा या सुना है ? ( एवरेस्ट हिमालय की सबसे ऊंची चोटी है । इस पर सबसे पहले पहुंचने का गौरव तेनजिंग और हिलेरी को प्राप्त हुआ । यहाँ तेनजिंग की डायरी का एक पृष्ठ दिया गया है । इससे ज्ञात होता है कि एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने के लिए तेनजिंग और हिलेरी ने कितने साहस और धैर्य से काम लिया । ) शरीर थककर चूर हो गया था , परंतु हौसले में कमी न थी । वह तो बढ़ता ही जा रहा था । सावधानी से शरीर को सँभालते हुए मैं और , हिलेरी दोनों आगे बढ़े । यह क्या ! सामने लगभग बारह मीटर ऊँची एक विकट चट्टान थी , एकदम सीधी । दूसरी तरफ बरफ का एक भारी छज्जा । बीच में एक तंग दरार । हमने इसी दरार में से ऊपर जाने की ठानी । मैंने हिलेरी के शरीर को सँभाला । हिलेरी ने पाँव रखने और हाथ गड़ाने के लिए बरफ में गड्ढे बनाए । बड़ी कठिनाई और सावधानी से हिलेरी टीले के ऊपर पहु...

thomas alva edison story in hindi

प्रस्तावना:-  प्रस्तुत पाठ में बच्चों को महान् वैज्ञानिक टामस एल्वा एडीसन की जीवनी तथा उनके द्वारा किए गए आविष्कारों के विषय में जानकारी दी गई है । एडीसन एकमात्र ऐसे वैज्ञानिक हुए हैं जिन्होंने 1000 से अधिक आविष्कार किए । आओं देखें कि बचपन मे अच्छा स्वास्थ्य न होने पर भी एडीसन इतने महान वैज्ञानिक कैसे बने । आज मानव विज्ञान के युग में रह रहा है । विज्ञान ने मानव के जीवन को सरल एवं सुगम बना दिया है । बिजली , मोटर , टेलीविजन , टेलिफोन , रेडियो , वायुयान , जलयान , रॉकेट उपग्रह , कंप्यूटर और न जाने कितनी वस्तुएँ विज्ञान की ही देन है । आज हम इनके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते । इस समय भी जब आप यह पुस्तक पढ़ रहे होंगे , संसार के विभिन्न देशों में विज्ञान के नए - नए आविष्कार हो रहे होंगे । बच्चो ! विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐसा भी वैज्ञानिक हुआ है जिसके अदभत कारनामों से संसार चकित रह गया । उस वैज्ञानिक का नाम था — एडीसन ।  एडीसन का पूरा नाम थॉमस एल्वा एडीसन था । उसका जन्म अमेरिका के मलीन नामक शहर में 11 फरवरी , सन् 1847 में हुआ था । उसके पिता का नाम सैमुअल एडीसन था । वह...

एडीसन का पूरा नाम थॉमस एल्वा एडीसन था

प्रस्तावना:-  प्रस्तुत पाठ में बच्चों को महान् वैज्ञानिक टामस एल्वा एडीसन की जीवनी तथा उनके द्वारा किए गए आविष्कारों के विषय में जानकारी दी गई है । एडीसन एकमात्र ऐसे वैज्ञानिक हुए हैं जिन्होंने 1000 से अधिक आविष्कार किए । आओं देखें कि बचपन मे अच्छा स्वास्थ्य न होने पर भी एडीसन इतने महान वैज्ञानिक कैसे बने । आज मानव विज्ञान के युग में रह रहा है । विज्ञान ने मानव के जीवन को सरल एवं सुगम बना दिया है । बिजली , मोटर , टेलीविजन , टेलिफोन , रेडियो , वायुयान , जलयान , रॉकेट उपग्रह , कंप्यूटर और न जाने कितनी वस्तुएँ विज्ञान की ही देन है । आज हम इनके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते । इस समय भी जब आप यह पुस्तक पढ़ रहे होंगे , संसार के विभिन्न देशों में विज्ञान के नए - नए आविष्कार हो रहे होंगे । बच्चो ! विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐसा भी वैज्ञानिक हुआ है जिसके अदभत कारनामों से संसार चकित रह गया । उस वैज्ञानिक का नाम था — एडीसन ।  एडीसन का पूरा नाम थॉमस एल्वा एडीसन था । उसका जन्म अमेरिका के मलीन नामक शहर में 11 फरवरी , सन् 1847 में हुआ था । उसके पिता का नाम सैमुअल एडीसन था । वह...

FACTORS RESPONSIBLE FOR ACCIDENTS

There are various factors, which are responsible for various accidents. These factors are stated below: 1. Lack of Knowledge . Lack of knowledge is a curse. A number of accidents happen only due to lack of knowledge. If we do not have a complete knowledge about machine and still handle it, there are ample chances to meet the accident. So, lack of knowledge may lead us towards accidents, which can be fatal for our life. 2. Cautionlessness . Cautionlessness is also a major factor which is responsible for accidents. It is also said, "cautionlessness causes accidents." Most commonly, it is seen that most of the accidents on roads happen only due to heedless driving. If we are attentive, accidents can be avoided up to a great extent. 3. Carelessness . Owing to over-confidence, a person becomes careless. There are a number of places such as roads, industries, factories and the agriculture, etc. where most of the people are entrapped in accidents due to carelessness. 4. Pensive...

छत्रपती शिवाजी महाराज की जीवनी और इतिहास

छत्रपती शिवाजी महाराज की जीवनी और इतिहास 🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔 "छत्रपती शिवाजी महाराज (1630-1680 ई.) भारत के एक महान राजा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने 1674 ई. में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। सन् 1674 में रायगढ़ में उनका राज्यभिषेक हुआ और वह "छत्रपति" बने।छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों कि सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये तथा छापामार युद्ध (Gorilla War) की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की। उन्होंने प्राचीन हिन्दू  राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और फारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया। ☞"भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में बहुत से लोगों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवनचरित से प्रेरणा लेकर भारत की स्वतन्त्रता के लिये अपना तन, मन धन न्यौछावर कर दिया। 👼👍"आरम्भिक जीवन...✍️ ☞"छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 20 Jan 1627 AD...

अलंकार की परिभाषा और उसके प्रकार उदाहरण सहित । alankar in hindi with examples

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अलंकार के भेद प्रकार की परिभाषा उदाहरण सहित अलंकार के मुख्य भेद अलंकारों के मुख्यतः तीन वर्ग किए गए हैं - ( 1 ) शब्दालंकार ( 2 ) अर्थालंकार ( 3 ) उभयालकार । । इन्हीं तीन वर्गों के आधार पर अलंकारों का अध्ययन होता है । शब्दालंकार शब्द  के दो रूप हैं - ध्वनि और अर्थ । ध्वनि के आधार पर शब्दालंकार की सृष्टि होती है । इस अलंकार में वर्ण या शब्दों की लयात्मकता या संगीतात्मकता होती है , अर्थ का चमत्कार नहीं । शब्दालंकार ( 1 ) कुछ वर्णगत , ( 2 ) कुछ शब्दगत और ( 3 ) कुछ वाक्यगत होते हैं । अनुप्रास , यमक आदि अलंकार वर्णगत और शब्दगत हैं तो लाटानुप्रास वाक्यगत । प्रमुख शब्दालंकार ये हैं - अनुप्रास , यमक , पुनरुक्ति , पुनरुक्तवदाभास , वीप्सा , वक्रोक्ति , श्लेष आदि ।   अर्थालंकार - अर्थ को चमत्कृत या अलंकृत करने वाले अलंकार अर्थालंकार हैं । जिस शब्द से जो अर्थालंकार सधता है , उस शब्द के स्थान पर दूसरा पर्याय रख देने पर भी वही अलंकार सधेगा , क्योंकि इस जाति के अलंकारों का संबंध शब्द से न होकर अर्थ से होता है । केशव ( 1600 ई० ) ने ' कविप्रिया ' में दंडी ( 700 ई . ) के आदर्श पर 3...

अपठित गद्यांश class 9 cbse board hindi

टेलीपैथी और पूर्वाभास , यानी सपने में या जागते हुए कहीं और घटित हो रही , या घटित होने जा रही घटनाओं का अंदाजा हो जाना , एक ऐसा क्षेत्र है , जिसमें घुसते हए विज्ञान के पाँव थरथराते हैं । किसी घटना के बार । कोई सचना प्राप्त करने के लिए उसके साथ किसी - न - किसी तरह का संपर्क होना ज़रूरी है - यह चाहे सीधे पेक्षण के रूप में हो या किसी माध्यम के ज़रिए । यह सिलसिला टटते ही तर्क की बनियाद दरकने लगती है । समस्या यह है कि विज्ञान के पास अपने खुद के पूर्वाभासों की भी एक श्रृंखला है , जिसका सिर - पैर समझना इतना मश्किल है कि इस काम के लिए साइंस ऑफ़ द साइंसेज नाम के एक अलग शास्त्र की माँग की जाती रही है । अठारहवीं सदी की गणितज्ञ मारिया एग्नेसी रेखागणित की जटिल समस्याओं के हल नींद में खोज लेती थीं और आंख खुलते ही उन्हें कॉपी में उतार देती थीं । पिछली सदी के जीनियस भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का कहना था कि उनकी कुलदेवी नामगिरि सपने में आकर उनके कठिन सवाल सुलझा जाती हैं । बेंजीन की संरचना पर काम कर रहे फ्रेडरिक केकुले को सपने में एक साँप दिखा जो अपनी पूँछ अपने मुँह में दबाए हुए था और यहीं से एक ...

मातृ पितृ देवो भवा

पिता' शब्द संतान के लिए सुरक्षा कवच है। पिता एक छत है, जिसके आश्रय में संतान विपत्ति के झंझावातों से स्वयं को सुरक्षित पाता है।  पिता संतान के पालन - पोषण और संरक्षण का पर्याय है।  पिता शिशु के लिए उल्लास है।  जवानों के लिए अनिश्चितक और पथ प्रदर्शक है और वयस्कों के लिए अनंत आशीर्वाद है।  पिता के वृद्ध होने या महाप्रस्थान के समय ही संतान उनका सत्ता - महत्ता का ज्ञान कर पाती है।  इस संसार मेहर बह व्यक्ति सौभाग्यशाली है जिसने अपने पिता का सानिध्य पाया है और उनकी सेवा पालन करने में सफल रहे हैं।  कोई भी व्यक्ति अपने पिता की प्रसन्नता का कारण बनकर जीवन सफल कर सकता है। लोक जीवन में पिता - पुत्र के संबंध सदा से ही मधुर रहे हैं। हालाँकि पिता ने अपनी संतान से मुँह नहीं मोड़ा।  वह सदैव अपनी संतान की खुशी - शांति की कामना करता रहा है, संतान भले ही अपने दासों से।  मुंह मोड़कर उसे अकेला छोड़ दे। पिता के साथ - साथ माँ भी इकलौती ऐसी शख्स है जिसका प्यार निस्वार्थ होता है।  उसके त्याग की कोई तुलना नहीं।  वह हमारे लिए सब कुछ होता है।  वह हमारा ...