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Showing posts from February 13, 2020

कंप्यूटर : एक आधुनिक टैक्नोलॉजी पर निबंध लेखन । Computer : An Essay on Modern Technology

संकेत - बिंदु : 1 . भूमिका 2 . महत्वपूर्ण उपकरण 3 . कंप्यूटर कल्पवृक्ष की भाँति 4 . विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग 5 . उपसंहार   भूमिका - हमारे सामाजिक , राजनीतिक , आर्थिक एवं धार्मिक क्षेत्रों को प्रभावित करने वाला कंप्यूटर अंतत : है क्या ? इस विषय में जानकारी प्राप्त करने की इच्छा स्वाभाविक है । “ कंप्यूटर या यंत्रमानव वास्तव में यांत्रिक मस्तिष्कों का एक ऐसा रूपात्मक एवं मिश्रित योग तथा गुणात्मक योग है , जो तीव्रतम गति से अत्यल्प समय में त्रुटिरहित गणना कर सके ।   महत्वपूर्ण उपकरण - मानव हमेशा से ही अपनी गणितीय गणनाओं के लिए गणना यंत्रों को प्रयोग में लाता रहा है , इस कार्य को संपन्न करने के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली प्राचीन मशीनों में अबेकस ( Abecuss ) : साधन था , किंतु आज तो ऐसे अनेक प्रकार के जटिल गणना यंत्रों का निर्माण हो चुका है , जो जटिल - से - जटिल गणनाओं का परिकलन ( calculation ) स्वयं ही कर लेते हैं । गणना यंत्रों में सबसे अधिक तीव्र गति से शुद्ध और सबसे उपयोगी गणना करने वाला यंत्र है - ' कंप्यूटर ' अर्थात् ' यंत्र पुरुष ' ।   कंप्यूटर कल्पवृक्ष ...

भारतीय संस्कृति और हमारे युवक पर निबंध लेखन । Essay writing on Indian culture and our youth

संकेत - बिंदु : 1 . प्रस्तावना 2 . सभ्यता एवं संस्कृति 3 . संस्कृति का विकास 4 . भारतीय संस्कृति के आदर्श तत्व 5 . युवकों पर प्रभाव   प्रस्तावना - मानव अपनी उत्पत्ति से मृत्युपर्यंत आनंद की खोज में रहता है । आनंद सौंदर्य में होता है । मानव अनादिकाल से सौंदर्य की खोज में है । वह अपनी किसी रचना को परिपूर्ण मानकर संतुष्ट नहीं हो पाता है । उसे और अधिक सुंदर बनाने का प्रयास करता है । यह विकसित रूप ही ' संस्कृति ' कहलाता है । मानव नाना प्रकार की धार्मिक साधनाओं के प्रयासों से उस महान सत्य की खोज में व्यापक रूप से प्रयास करता जा रहा है , जिसे हमने संस्कृति की संज्ञा दी है ।   सभ्यता एवं संस्कृति - संस्कृति तथा सभ्यता में आपस में अटूट संबंध है । जिस जाति की संस्कृति उच्च होती है , वह सभ्य कहलाती है और उसी के सदस्य सुसंस्कृत कहलाते हैं । जो सुसंस्कृत हैं , वे ही सभ्य हैं और जो सभ्य हैं , वे ही सुसंस्कृत हैं । प्रत्येक जाति की अपनी - अपनी संस्कृति होती है । संस्कृति अच्छी अथवा बुरी हो सकती है , किंतु सभ्यता सदैव सुंदर होती है । सभ्यता के भीतरी भाग में बहने वाली धारा को ही हम संस...

शिक्षा का माध्यम राष्ट्रभाषा हो या मातृभाषा पर निबंध लेखन । Essay writing on The medium of instruction is national language or mother tongue

संकेत - बिंदु : 1 . भूमिका 2 . शिक्षा का माध्यम 3 . मातृभाषा 4 . राष्ट्रीय भाषा 5 . प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर   भूमिका - मानव मनोवृत्तियों के विकास का साधन शिक्षा ही है । मानव की जन्मजात विशेषताएँ शिक्षा द्वारा अंकरित , पल्लवित और पष्पित होती हैं ।   शिक्षा का माध्यम - शिक्षा उसी माध्यम से दी जानी चाहिए , जिसे बालक - बालिकाएँ आसानी से समझ सके । दूसरे शब्दों में , शिक्षा का सबसे उत्तम माध्यम बालक की अपनी मातृभाषा ही हो सकती है । यदि उसे किसी अन्य भाषा से शिक्षा दी जाए , तो सबसे पहले वह भाषा सिखानी होगी , इसके लिए बहुत समय चाहिए । जितना समय उस भाषा को सीखने में लगाया जाएगा , उतने समय में बालक को कितनी ही शिक्षा दी जा सकती है । शिक्षा का माध्यम वही भाषा होनी चाहिए , जो कठिन न हो , जिसके व्याकरण के नियम जटिल न हों , जिसकी वर्णमाला सुगम और सरल हो उस भाषा में पुस्तकें विद्यमान हों ।   मातृभाषा - प्रत्येक बालक के लिए उसकी मातृभाषा ही सबसे सरल होती है । उसकी वर्णमाला वह जल्दी सीख जाता है , उसका उच्चारण वह जल्दी सीखता है क्योंकि घर में भी वह उसी को बोलता और सुनता...

आरक्षण : समस्या तथा समाधान पर निबंध लेखन । Essay writing on Reservation: Problem and solution

संकेत बिंदु : 1. भूमिका 2. जाति का आधार 3. आरक्षण की सीमा 4. आरक्षण का औचित्य 5. आरक्षण की राजनीति 6. उपसंहार भूमिका - सन् 1978 के पश्चात् आरक्षण विरोधी आंदोलन तीव्र होने लगे । गुजरात , बिहार , मध्यप्रदेश तथा राजस्थान में आरक्षण विरोधक हिंसा भी हो उठी । राष्ट्रव्यापी स्तर पर इस आंदोलन को भड़काने का प्रयास किया गया । आरक्षण पर विचार करने के लिए हमें इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में जाना होगा । जाति का आधार - गुण एवं कर्म के आधार पर स्थापित जाति व्यवस्था क्रमशः जन्म पर आधारित हो गई । जाति विशेष में उत्पन्न व्यक्ति के लिए कर्म तथा प्रतिष्ठा पहले से ही सुरक्षित की जाने लगी । केवल चार वर्णों में ही नहीं बल्कि पाँच हजार से भी अधिक जातियों और उपजातियों में बँटा यह हिंदू समाज अत्यंत संकीर्ण बन गया । अंतर्जातीय विवाह , खान - पान , रोटी - बेटी के संबंधों पर प्रतिबंध लग गए । शिक्षा , संपत्ति , शासन , सम्मान से वंचित जातियाँ समाज में असम्मानित निकृष्ट पेशों द्वारा जीविकोपार्जन करती हुई , गाँव के अंतिम छोर पर अस्पृश्य की जिंदगी जीने के लिए विवश हो गई । निम्न जाति के लिए मंदिरों के दरवाजे बंद हो गए ...

आधुनिक भारत के निर्माण में दूरदर्शन की भूमिका पर निबंध लेखन । Essay writing on Doordarshan's role in building modern India

संकेत - बिंदु : 1 . प्रस्तावना 2 . विवाद का विषय 3 . दूरदर्शन के लाभ 4 . निष्कर्ष ।   प्रस्तावना - विज्ञान के जादुई चिराग से जो असंख्य उपहार मनुष्य को मिले हैं उनमें दूरदर्शन का स्थान महत्वपूर्ण है । कहते हैं संजय महाराज ने दिव्य - दृष्टि प्राप्त की थी जिसके बल पर उन्होंने कुरुक्षेत्र से मीलों दूर बैठकर नेत्रहीन धृतराष्ट्र को युद्ध का आँखों देखा हाल सुनाया था । लोगों ने इसे आध्यात्मिक शक्ति का चमत्कार समझा और शायद आज तक समझते रहते यदि दूरदर्शन का यंत्र न बना होता । अमेरिका के विलाडीमीर के० जेरकिन ने इस दिशा में पहल की परंतु दूरदर्शन के आविष्कार का श्रेय मिला इंग्लैंड के जॉन बेयर्ड को जिन्होंने 1926 में विदयुत् तरंगों के साथ बोलते चित्रों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में सफलता प्राप्त की । दूरदर्शन से पूर्व रेडियो , प्रचार - प्रसार एवं मनोरंजन का प्रमुख साधन था । मनोरंजन के लिए सिनेमा एवं समाचारों के लिए समाचार - पत्रों का भी महत्व था । दूरदर्शन के आगमन से रेडियो , समाचार - पत्र और सिनेमा एक साथ घर की मेज़ पर आ गए ।   विवाद का विषय - भारतीय संचार माध्यम अर्थात्...

अंतरिक्ष विजय और मानवता का भविष्य पर निबंध लेखन

  संकेत - बिंदु : 1 . प्रस्तावना 2 . रूस एवं अमेरिका 3 . भारत का योगदान 4 . ज्ञान में अभिवृद्धि 5 . सफलताओं का दूसरा पहलू प्रस्तावना - सृष्टि के ऊषाकाल में जब कभी मनुष्य ने आँख खोल कर देखा होगा तो अपने को आकाश के गोलाकार गुंबद के नीचे पड़ा पाया होगा । तब , जबकि आकाश की छत के सिवा उसके पास सिर छुपाने का साधन नहीं रहा होगा , उसने आश्चर्य और जिज्ञासा से वर्षों इसे निहारा होगा . इसके बदलते रंगों को देखा होगा और इसमें चमकते , भागते , टूटते रंग बदलते ग्रहों , नक्षत्रों एवं पुच्छल तारों को देखकर अदभुत कल्पनाएँ की होंगी । इस महाशून्य में शिव के निवास की कल्पना की होगी , ग्रहों , नक्षत्रों को देवता कहकर पुकारा होगा । ज्योतिषियों ने एक - एक नक्षत्र के । आकार - प्रकार को कल्पित किया और पृथ्वीवासियों पर पड़ने वाले उसके प्रभाव को आँका । सूर्य के बिना सृष्टि संभव नहीं लगी तो चंद्रमा के बिना वनस्पतियों में रस का संचार न होने की बात भी कही । इस महाशून्य के गर्भ में क्या छुपा है , इसे जानने की बलवती इच्छा ने वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष अनुसंधान की ओर प्रेरित किया ।   रूस एवं अमेरिका -...

भारत का परमाणु कार्यक्रम पर निबंध लेखन । Essay writing on India's nuclear program

संकेत - बिंदु : 1 . भूमिका 2 . परमाणु नीति 3 . परमाणु परीक्षण 4 . उपयोगिता 5 . उपसहार भूमिका - 6 अगस्त 1945 , द्वितीय विश्व युद्ध अपनी अंतिम साँसों पर था परंतु जापान अपनी अदम्य इच्छा शक्ति के सहारे अभी भी मित्र राष्ट्रों के लिए चुनौती बना था । अचानक जापान का तीन लाख आबादी वाला नगर हिरोशिमा , अमेरिका के सुपर फ़ोटरेस विमान दुवारा गिराए परमाणु बम से दहक उठा । सारा नगर आग और धुएँ का गुब्बार बनकर मौत की नींद सो गया । दूर - दूर तक अधजले खंडहर , अपंग , साण नागरिक और विनाश के प्रयकर चिहन खिरे दिखाई पड़े । 9 अगस्त को यही विनाशलीला नागासाकी में दुहराई गई । जापान ने घुटने टेक दिए , विश्व युदध समाप्त हो गया । विश्व पहली बार परमाणु बम की शक्ति से परिचित हुआ । 1945 को नोबेल पुरस्कार जर्मन वैज्ञानिक ऑटो हॉन को दिया गया जिसने अमेरिकी संरक्षण में परमाणु बम का निर्माण किया था । परमाणु नीति - स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने परमाणु शक्ति के आतिषण प्रयोग का विचार विश्व को दिया । 1948 परमाण शक्ति आयोग की स्थापना की गई । पापा पामा जविन अनुसंधान का ट्रा...

प्रदूषण : कारण और निवारण पर निबंध लेखन

संकेत बिंदु : 1 . भूमिका 2 . प्रदूषण का अर्थ 3 . प्रदूषण के प्रकार 4 . प्रदूषण का कारण 5 . प्रदूषण के परिणाम 6 . प्रदूषण दूर करने के उपाय भूमिका - आज के युग को विज्ञान का युग कहा जाता है । विज्ञान ने आज मनुष्य को अनेक प्रकार के उपहारों और शक्तियों से उपकृत किया है । इनके बल पर मानव जल , थल , नभ का स्वामी बन बैठा है । विज्ञान ने जहाँ मनुष्य को अनेक प्रकार की सुविधाएँ प्रदान की हैं , दूसरी ओर वहीं अनेक समस्याओं को भी जन्म दिया है । प्रदृषण की समस्या भी ऐसी ही समस्या है । अर्थ - वायु , जल , मिट्टी , पेड़ - पौधे आदि पर्यावरण की रचना करते हैं । इन सब पदार्थो का निश्चित संदलत होता है । जब यह संतुलन बिगड़ जाता है , तो प्रदूषण का जन्म होता है । ' प्रदूषण ' दो शब्दों के योग से बना है- प्र+दूषण जिसका अर्थ है - वातावरण का दूषित हो जाना । प्रकार - प्रदूषण मुख्य रूप से चार प्रकार का होता है - वाय प्रदषण , जल प्रदषण , ध्वनि प्रदषण और भनि प्रदयण । उद्योग - धंधों तथा सड़क पर चलने वाले वाहनों से निकलने वाले धुएँ के कारण वायु प्रदूषण का जन्म होता है । जब कल कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट पद...