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Showing posts from February 15, 2020

गंगा प्रदूषण पर निबंध लेखन

संकेत बिंदु  : 1. अद्भुत वरदान 2. गंगा की स्थिति 3. गंगा प्रदूषण 4. प्रदूषण निवारण अद्भुत वरदान - हमारे देश को बनाने में प्रकृति प्रदत्त अद्भुत चीज़ों का बहुत बड़ा हाथ है । वे हैं - हिमालय और गंगा । गंगा नदी पर लोगों की अपार श्रद्धा है । उसके साथ भारत की जातीय स्मृतियाँ , उसकी आशाएँ और आकांक्षाएँ तथा उसकी जय - पराजय और उसके विजय गीत जुड़े हुए हैं । गंगा युगों पुरानी संस्कृति एवं सभ्यता की प्रतीक रही है जो अनादि काल से बहती चली आ रही है । इस गंगा का उद्गम गंगोत्री से 29 कि०मी० ऊपर गोमुख स्थान पर है । गंगोत्री केदारनाथ से लगभग 40 कि०मी० आगे है और लगभग पाँच हजार मीटर ऊँचाई पर स्थित है । यहाँ के बर्फीले पहाड़ों की श्वेत , स्वच्छ बर्फ पिघल - पिघलकर नीचे की ओर बहती है । यहाँ इसे भागीरथी कहते हैं । पर्वतों की घाटियों में कूदति - फाँदती , जलप्रपात बनाती हुई और हरे - भरे पर्वतों के बीच चाँद की - सी धारा बनाती हुई आगे बढ़ती है । देवप्रयाग में अलकनंदा को साथ ले जाती है । यहीं इसका नाम पड़ता है - गंगा । गंगा की स्थिति - गंगा भारतीय संस्कृति का प्राण है । इसे सब नदियों में पवित्र माना...

शिक्षा में खेलों का महत्व पर निबंध लेखन

संकेत - बिंदु : 1 . स्वस्थ शरीर 2 . व्यक्तित्व निर्माण 3 . पाश्चात्य देशों द्वारा अनुसरण 4 . मानव - निर्माण 5 . अनुशासन एवं सद्भाव 6 . मनोरंजन का साधन 7 . संतुलित प्रयोग स्वस्थ शरीर - प्रकृति ने मानव को सर्वश्रेष्ठ प्राणी की उपाधि दी है । इसका कारण यह है कि मानव के पास बुद्धि है । मानव में सोचने तथा समझने की शक्ति है । प्राचीन काल से ही वह संसार के अन्य प्राणियों पर नियंत्रण करता चला आ रहा है । आज तो मानव ने कुछ हद तक प्रकृति पर विजय प्राप्त कर ली है । मानव के पास आत्मिक , शारीरिक तथा मानसिक तीनों प्रकार का बल है । इन तीनों प्रकार की शक्तियों के विकास के लिए उपाय भी हैं । श्रेष्ठ पुस्तकों तथा धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन एवं समाज सेवा करने से आत्मिक शक्ति बढ़ती है । शारीरिक बल के लिए नियमित आहार . व्यायाम तथा खेल - कूद अनिवार्य है । मानव में शारीरिक शक्ति का होना नितांत आवश्यक है क्योंकि एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है । अंग्रेजी में एक कहावत भी है Asound mindin a sound body . एक रोगी और कमज़ोर व्यक्ति देश , समाज तथा यहाँ तक कि अपने लिए भी बोझ है । मस्तिष्क को स्व...