प्रकाश प्रदूषण के खतरे

बचपन में जब मैं गर्मी की छुट्टियों में नाना - नानी के पास गाँव जाता था तो वहाँ खुली छत में सोने का मौका मिलता । वह चाँद - तारों की कहानियाँ सुनाती , मैं देर तक सुनता । उस समय घोर कालिमा में भी आकाश में तारे स्पष्ट दिखाई देते । वहाँ मैंने तारा समूहों को पहचानना सीखा । ऐसा लगता गाँव की जमीन आसमान के ज्यादा समीप है जबकि शहर में ऐसा नहीं हैं । बहुत दिनों बाद पता चला कि शहर में अत्यधिक प्रकाश व प्रदूषण के कारण आकाश स्पष्ट नहीं दिखाई देता । रोशनी मनुष्य निर्मित ऐसी समस्या है जो वास्तव में सम्पूर्ण प्राणी जगत को धीरे - धीरे अँधेरे में ढकेल रही है । आज दिन ढलते ही हम सभी कृत्रिम रोशनी का उपयोग करते हैं । चारो ओर फैली यह चकाचौंध रोशनी हमारे वातावरण में प्रकाश प्रदूषण का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है , जो वायु तथा जल प्रदूषण जितना ही खतरनाक है । आवश्यकता से अधिक फैलाए गए कृत्रिम प्रकाश के अन्तर्गत राष्ट्रीय तथा राजमार्गों की लाइटें , शहरों तथा गाँवों में लगी जरूरतों से ज्यादा स्ट्रीट लाइटें , जगमगाते बाजार , मॉल्स , विज्ञापन बोर्ड , वाहनों , घरों तथा दफ्तरों की लाइटें शामिल हैं । वर्ष 2016 में ' साइंस एडवांस ' द्वारा ग्लोबल लाइट , पॉल्यूशन पर जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की 80 फीसदी आबादी प्रकाश से प्रदूषित आसमान के नीचे रहती है । इटली के वैज्ञानिक डॉ . सिजनोमें ने वर्ष 2000 में सेटेलाइट से प्राप्त चित्रों की मदद से एक अध्ययन किया । उनके अनुसार आसमान का लगभग 20 से 22 फीसदी भाग प्रकाश प्रदूषण की चपेट में है । वर्ष 2016 में नासा के वैज्ञानिक ने भी उपग्रहों से प्राप्त जानकारी का विश्लेषण करके बताया कि विश्व के कई हिस्सों में प्रकाश प्रदूषण लगातार फैलता जा रहा है । नक्षत्र वैज्ञानिकों के अनुसार साफ सुथरी रात में जब बादल नहीं होते हैं , ऐसी स्थिति में किसी स्थान से लगभग 2500 तारे देखे जा सकते हैं । हाल में हुए एक अध्ययन के मुताबिक न्यूयार्क के आसपास 250 व मैनहटन में केवल 15-20 तारे ही दिखते हैं । वहीं भारत में नई दिल्ली स्थित नेहरू तारा मण्डल के खगोलशास्त्रियों ने प्रकाश प्रदूषण का अध्ययन करते हुए लगभग 2800 किमी . की ऊँचाई से उपग्रहों की मदद से लिए चित्रों में पाया कि यूरोप , अमेरिका , जापान के बाद भारत का प्रकाश प्रदूषण में स्थान आता है । प्रकाश यदि हमारी जरूरत है , तो अँधेरा भी प्रत्येक जीव - जन्तु के लिए उतना ही जरूरी है।हमारे शरीर में मेलाटोनिम नामक हारमोन का निर्माण तभी संभव होता है जब नेत्रों को अंधकार का संकेत मिलता है । इसका काम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता से लेकर कोलेस्ट्राल में कमी लाना है । बढ़ता प्रकाश मनुष्य को तनाव , सिरदर्द , देखने की क्षमता की कमी , हार्मोन्स संतुलन में गड़बड़ी , नींद में खलल , याददाश्त तथा सीखने की क्षमता में कमी के रूप में नुकसान पहुंचाता है । रात के समय जलाशयों में पानी के जीव - जन्तु सतह पर आकर भोजन खाते हैं , जलाशयों के आसपास तेज कृत्रिम प्रकाश के कारण जलीय जीव , जन्तु भ्रमित होकर सतह पर नहीं आते और वे भूख से मर जाते हैं । चाँद , तारे देखकर दिशा का पता लगाने और अपने अनुकूल मौसम वाली जगहों पर ठिकाना बनाने वाले प्रवासी पक्षियों को भी यह कृत्रिम प्रकाश भ्रमित कर देता है । सबसे दुखद यह है कि प्रकाश प्रदूषण के इस दुष्प्रभाव के कारण प्रतिवर्ष लाखों प्रवासी पक्षी मारे जाते हैं । इसका समाधान हमारे ही हाथों में है । हम कम से कम ऊर्जा की खपत करें । स्ट्रीट लाइटों की बनावट कुछ इस तरह हो जो रोशनी को सिर्फ नीचे की तरफ केन्द्रित करें । घर के अन्दर व बाहर हाई इन्टेन्सिटी बल्बों से परहेज करें । यदि कोई स्थान उपयोग में न हो तो वहाँ की लाइट बंद रखें । प्रदूषण के खतरे बचपन में जब मैं गर्मी की छुट्टियों में नाना - नानी के पास गाँव जाता था तो वहाँ खुली छत में सोने का मौका मिलता । वह चाँद - तारों की कहानियाँ सुनाती , मैं देर तक सुनता । उस समय घोर कालिमा में भी आकाश में तारे स्पष्ट दिखाई देते । वहाँ मैंने तारा समूहों को पहचानना सीखा । ऐसा लगता गाँव की जमीन आसमान के ज्यादा समीप है जबकि शहर में ऐसा नहीं हैं । बहुत दिनों बाद पता चला कि शहर में अत्यधिक प्रकाश व प्रदूषण के कारण आकाश स्पष्ट नहीं दिखाई देता । रोशनी मनुष्य निर्मित ऐसी समस्या है जो वास्तव में सम्पूर्ण प्राणी जगत को धीरे - धीरे अँधेरे में ढकेल रही है । आज दिन ढलते ही हम सभी कृत्रिम रोशनी का उपयोग करते हैं । चारो ओर फैली यह चकाचौंध रोशनी हमारे वातावरण में प्रकाश प्रदूषण का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है , जो वायु तथा जल प्रदूषण जितना ही खतरनाक है । आवश्यकता से अधिक फैलाए गए कृत्रिम प्रकाश के अन्तर्गत राष्ट्रीय तथा राजमार्गों की लाइटें , शहरों तथा गाँवों में लगी जरूरतों से ज्यादा स्ट्रीट लाइटें , जगमगाते बाजार , मॉल्स , विज्ञापन बोर्ड , वाहनों , घरों तथा दफ्तरों की लाइटें शामिल हैं । वर्ष 2016 में ' साइंस एडवांस ' द्वारा ग्लोबल लाइट , पॉल्यूशन पर जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की 80 फीसदी आबादी प्रकाश से प्रदूषित आसमान के नीचे रहती है । इटली के वैज्ञानिक डॉ . सिजनोमें ने वर्ष 2000 में सेटेलाइट से प्राप्त चित्रों की मदद से एक अध्ययन किया । उनके अनुसार आसमान का लगभग 20 से 22 फीसदी भाग प्रकाश प्रदूषण की चपेट में है । वर्ष 2016 में नासा के वैज्ञानिक ने भी उपग्रहों से प्राप्त जानकारी का विश्लेषण करके बताया कि विश्व के कई हिस्सों में प्रकाश प्रदूषण लगातार फैलता जा रहा है । नक्षत्र वैज्ञानिकों के अनुसार साफ सुथरी रात में जब बादल नहीं होते हैं , ऐसी स्थिति में किसी स्थान से  2500 तारे देखे जा सकते हैं । हाल में हुए एक अध्ययन के मुताबिक न्यूयार्क के आसपास 250 व मैनहटन में केवल 15-20 तारे ही दिखते हैं । वहीं भारत में नई दिल्ली स्थित नेहरू तारा मण्डल के खगोलशास्त्रियों ने प्रकाश प्रदूषण का अध्ययन करते हुए लगभग 2800 किमी . की ऊँचाई से उपग्रहों की मदद से लिए चित्रों में पाया कि यूरोप , अमेरिका , जापान के बाद भारत का प्रकाश प्रदूषण में स्थान आता है । प्रकाश यदि हमारी जरूरत है , तो अँधेरा भी प्रत्येक जीव - जन्तु के लिए उतना ही जरूरी है।हमारे शरीर में मेलाटोनिम नामक हारमोन का निर्माण तभी संभव होता है जब नेत्रों को अंधकार का संकेत मिलता है । इसका काम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता से लेकर कोलेस्ट्राल में कमी लाना है । बढ़ता प्रकाश मनुष्य को तनाव , सिरदर्द , देखने की क्षमता की कमी , हार्मोन्स संतुलन में गड़बड़ी , नींद में खलल , याददाश्त तथा सीखने की क्षमता में कमी के रूप में नुकसान पहुंचाता है । रात के समय जलाशयों में पानी के जीव - जन्तु सतह पर आकर भोजन खाते हैं , जलाशयों के आसपास तेज कृत्रिम प्रकाश के कारण जलीय जीव , जन्तु भ्रमित होकर सतह पर नहीं आते और वे भूख से मर जाते हैं । चाँद , तारे देखकर दिशा का पता लगाने और अपने अनुकूल मौसम वाली जगहों पर ठिकाना बनाने वाले प्रवासी पक्षियों को भी यह कृत्रिम प्रकाश भ्रमित कर देता है । सबसे दुखद यह है कि प्रकाश प्रदूषण के इस दुष्प्रभाव के कारण प्रतिवर्ष लाखों प्रवासी पक्षी मारे जाते हैं । इसका समाधान हमारे ही हाथों में है । हम कम से कम ऊर्जा की खपत करें । स्ट्रीट लाइटों की बनावट कुछ इस तरह हो जो रोशनी को सिर्फ नीचे की तरफ केन्द्रित करें । घर के अन्दर व बाहर हाई इन्टेन्सिटी बल्बों से परहेज करें । यदि कोई स्थान उपयोग में न हो तो वहाँ की लाइट बंद रखें ।

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