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कोरोना जैसी महामारी से बचाव हेतु प्रधानमंत्री द्वारा सम्पूर्ण लॉकडाउन लागू करने हेतु 30-40 शब्दों में संदेश लिखिए।

संदेश 22 मार्च 2020 रात्रि 8:00 बजे मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, आज रात 12 बजे से कोरोना महामारी से बचाव हेतु पूरे देश में सम्पूर्ण लॉकडाउन लागू होने जा रहा है। सम्पूर्ण लॉकडाउन के दौरान जरूरी सेवाएं जारी रहेंगी। 21 दिन का लॉकडाउन लंबा समय है, लेकिन आपके और आपके परिवार की रक्षा के लिए, उतना ही महत्त्वपूर्ण है। लॉकडाउन का पालन करें सुरक्षित रहें। नरेंद्र मोदी

'आत्मकथा' कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।

जयशंकर प्रसाद छायावादी कवि हैं। प्रस्तुत कविता में उन्होंने सहज, सरल, खड़ी बोली एवं अलंकारों का प्रयोग किया है। जीवन में आए दुःखों का सरल एवं सहज वर्णन कर प्रसाद ने करुण रस का समावेश किया है। उन्होंने भावानुकूल शब्दों का प्रयोग करते हुए व्यक्तिगत अनुभूतियों के बड़े सुंदर एवं मार्मिक शब्द-चित्र खींचे हैं।

"उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की"- कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

कवि अपने जीवन की पिछली घटनाओं को याद करते हुए कहता है कि मैं उन मधुर चाँदनी रातों की उज्ज्वल गाथा को कैसे गाऊँ अर्थात् उन मधुर क्षणों को कैसे प्रकट करूँ, जिसमें हँसते-खिलखिलाते हुए प्रिया के साथ बातें होती थी, क्योंकि वह सुख तो मेरी बाहों में आने से पहले ही मुसकुराकर मुझसे दूर चला गया।

स्मृति को 'पाथेय' बनाने से कवि का क्या आशय है?

कई बार सुखी जीवन की स्मृतियों मनुष्य के लिए उस समय सहारा बन जाती हैं, जब वह दुःखी होता है। आज कवि अपनी प्रिया की उन यादों का सहारा लेकर अपने जीवन के रास्ते की थकान दूर करता है, जिसमें उसके लालिमायुक्त गालों को देखकर ऐसा लगता था जैसे प्रेम बिखेरती उषा उदित हो रही हो।

आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में 'अभी समय भी नहीं' कवि ऐसा क्यों कहता है ?

आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में 'अभी समय भी नहीं' कवि ऐसा क्यों कहता है ?  अथवा  कवि आत्मकथा कहने या लिखने के लिए समय को उपयुक्त क्यों नहीं मानते? उत्तर : कवि को लगता है कि आत्मकथा सुनाने का सही समय अभी नहीं आया है, क्योंकि उसके इस छोटे-से जीवन में अभावों से भरी बड़ी-बड़ी कथाएँ हैं। वह अपने जीवन की उन सामान्य गाथाओं को कैसे कहे? इसलिए अच्छा यही रहेगा कि वह दूसरे महान् लोगों की कथाओं को सुनकर चुप रहें। इसके अलावा उसका दुःख इस समय शांत है। वह अभी थककर सोया है।

कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है?

कवि अपनी आत्मकथा लिखने से इसलिए बचना चाहता है, क्योंकि उसका मानना है कि उसने अपने जीवन में कोई ऐसी उपलब्धि प्राप्त नहीं की है, जिसे वह दुनिया के सामने ला सके। उसके जीवन की कथा तो एक सामान्य व्यक्ति के जीवन की कथा है। उसमें ऐसा विशेष कुछ नहीं, जिससे लोग प्रेरणा प्राप्त कर सकें।

How to be honest with yourself | Be honest with yourself

I am sure you may have heard of the common saying, "Honesty is the best policy", but being truly honest with others and with yourself can be a real challenge. As children, many of us may have lied in order to escape punishment but this behaviour sometimes continues till adulthood also, because sometimes we may just not know where to draw the line. We should realize that lies and "mistruths" always come out in the end, and they always make someone or many people miserable. Whilst the truth can certainly be uncomfortable, it is always preferable in the long term to be honest and accept things as they are. In order to be happy, you need to be honest with yourself and about yourself. Don't pretend things are normal if they are not, and don't go looking for problems that aren't there. All you have to do is, accept who you are but be conscious of what you are not happy with and what you want to change, and then take the necessary steps in that direction. Being...

Holi essay in English 10 lines

Holi is the festival of colours. It is celebrated in the month of March when the crops of wheat and millet are ready for harvesting. It is also considered as a harvest festival. On this day, people apply coloured powder or gulal on friends and relatives. They also sprinkle coloured water on on another with a 'Pichkari'. That is why, it is called a festival of colours. People embrace one another and also distribute sweets.

शिशु का नाम भोलानाथ कैसे पड़ा? माता का अँचल पाठ के आधार पर बताइए।

शिशु का मूल नाम तारकेश्वर नाथ था। उसके पिता शिवभक्त थे। सुबह नहला-धुला कर वे उसे अपने पास पूजा में बिठा लेते समीप बिठाकर वे उसके ललाट पर भभूत लगाकर त्रिपुंडाकार का तिलक लगा देते। लम्बी जटाएं होने के कारण वह खासा यमभोला प्रतीत होता पिताजी शिशु से कहते कि बन गया भोलानाथ। फिर तारकेश्वर नाथ न कहकर धीरे धीरे उसे भोलानाथ कहकर पुकारने लगे और फिर नाम हो गया भोलानाथ।

'लड़की अभी सयानी नहीं थी काव्य-पंक्ति से कवि ऋतुराज का क्या अभिप्राय है?

लड़की को सांसारिक सूझबूझ से काम करने की जानकारी नहीं थी। वह वैवाहिक जीवन की कठिनाइयों से अपरिचित थी। उसे सांसारिक छल-कपट की समझ नहीं है। वह सरल स्वभाव की है। उसे ससुराल किस प्रकार व्यवहार करना है उसकी बिल्कुल भी जानकारी नहीं है यह सिर्फ एक बात जानती है कि वहां पर उसके पति होंगे और उसके सास और ससुर होंगे जो उसको अपने माता पिता की तरह ही रखेंगे।

'परिमल' की गोष्ठियों में फादर की क्या स्थिति थी ? लेखक तथा अन्य प्रतिभागियों के साथ उनके संबंध कैसे थे ?

परिमल में सभी सदस्य एक पारिवारिक रिश्ते में बंधे थे जिसके बड़े फादर बुल्के थे। विनोद, हास-परिहास के साथ वे साहित्यिक गोष्ठियों में बेबाक राय देते तथा सभी परिवारों के संस्कारों में बड़े भाई और पुरोहित की भाँति खड़े रहकर सबको अपने आशीर्वाद से भर देते।

दीपावली के अवसर पर मित्र को शुभकामना देते हुए 30-40 शब्दों में संदेश लिखिए।

संदेश 13 नवंबर 2020 रात्रि 10 बजे प्रिय मित्र! कल प्रकाश पर्व दीपावली का पावन त्योहार है। झिलमिल दीपों की रोशनी से प्रकाशित ये दिवाली आपके परिवार में सुख समृद्धि एवं आरोग्यता लेकर आए। आप पर सदैव लक्ष्मी-गणेश की कृपा बनी रहें। इस पावन पर्व पर मेरे परिवार की ओर से आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ। निषाद परिवार

प्रधानाचार्य जी द्वारा कोविड-19 माहामारी के कारण विद्यालय बंद रहने हेतु 30-40 शब्दों में संदेश लिखिए।

संदेश 5 अक्टूबर 2020 प्रातः 6 बजे प्रिय छात्रों कोविड-19 महामारी के कारण, शिक्षा निदेशालय के आदेश क्रमांक 125 दिनांक 05/10/2020 के अनुसार विद्यालय दिनांक 31/10/2020 तक बंद रहेंगे। आप सभी अपने घरों में स्वस्थ और सुरक्षित रहें। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी सभी सावधानियों व नियमों का पालन करें। आप सभी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ। प्रधानाचार्य रामेश्वरम विद्यालय

अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा मांगते हुए पिताजी को पत्र लिखिए।

विजय नगर, नई दिल्ली १६ मार्च २०१९ आदरणीय पिताजी सादर चरण-कमल स्पर्श आशा है आप सकुशल होंगे ? आप पिछले माह मुझसे मिलने भी नहीं आए | आज मैं आपसे कुछ बताना चाहता हूँ कि मुझसे अनजाने में एक गलती हो गयी है। वह यह है कि आपने जो घड़ी मुझे पुरस्कार में दी थी वह कहीं खो गई है। मैंने उसे बहुत ढूंढा लेकिन यह नहीं मिली। मुझे पता है कि वह बहुत कीमती थी और उसे आपने बड़े चाव से मेरे लिए खरीदा था। में अत्यन्त शर्मिन्दा होकर यह क्षमा याचना पत्र लिख रहा हूँ। मुझसे अनजाने में यह भूल हुई जिसके कारण अत्यन्त लज्जित हूँ। इस गलती के कारण मैं आपके सामने भी नहीं आ पा रहा हूँ। अतः विनम्र प्रार्थना है कि अनजाने में हुई गलती के लिए मुझे क्षमा दान दें। मैं आपका आभारी रहूँगा। शेष कुशल है। माताजी को सादर चरण स्पर्श तथा छोटे भाई-बहिनों को हार्दिक स्नेह स्वीकार हो। आपका आज्ञाकारी पुत्र विनोद सिंह

आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है? इसे रोकने के लिए आप क्या क्या कर सकते हैं? जीवन मूल्यों की दृष्टि से लिखिए।

आज की पीढ़ी प्रकृति के साथ निरंतर छेड़छाड़ कर रही है। उसका हस्तक्षेप प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ रहा है। प्रकृति माँ के समान हमारा पालन-पोषण करती है। उसी प्रकृति से हम अधिक-से-अधिक पाना चाहते हैं इसलिए हम उसका अधिकाधिक दोहन कर रहे हैं। आज की पीढ़ी अधिक-से-अधिक पेड़ों को काटकर वनों का सफाया कर रही है जिसके कारण जंगली जीवों का जीवन संकट में पड़ गया है। शहर कंक्रीट के जंगल में तबदील होते जा रहे हैं। सभी स्वार्थी बन धरती का एक-एक कोना छीनने में लगे हैं। वैज्ञानिक उपकरणों से अनेक दूषित हवाएँ वायु को प्रदूषित कर धरती का तापमान बढ़ा रही है। इससे मौसम चक्र बिगड़ गया है। इसे शीघ्रता से रोकना होगा अन्यथा धीरे-धीरे मानव का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। नई पीढ़ी को प्रकृति की तरफ मुड़ना होगा, वनों व जंगली जीवों को संरक्षण प्रदान करना होगा। पूर्ण रूप से प्राकृतिक जीवन जीना होगा। विज्ञान का उचित और विवेकपूर्ण प्रयोग करना होगा। प्रकृति से अधिक पाने की लालसा छोड़नी होगी तभी प्रकृति माँ बनकर हमारा पालन-पोषण करेगी अन्यथा मानव ही नहीं, समस्त प्राणियों का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा और वह दिन दूर नहीं जब धरती पर जीव...

बचपन में लेखक को अपने अध्यापक से खरी-खरी क्यों सुननी पड़ी? माता का अँचल पाठ के आधार पर बताइए।

बचपन में लेखक को अध्यापक से खरी-खरी इसलिए सुननी पड़ी क्योंकि उन्होंने अपने साथी बैजू और अन्य मित्रों के साथ मिलकर गाँव के वृद्ध व्यक्ति मूसन तिवारी को चिढ़ाया था। इन सबमें बैजू अत्यंत ढीठ था। उसने मस्ती करते हुए मूसन तिवारी को 'बुढ़वा बेईमान माँगे करैला का चोखा' कहकर चिढ़ाया। उसकी देखादेखी अन्य बच्चों ने उस पंक्ति को दुहराना शुरू कर दिया। परिणाम यह हुआ कि मूसन तिवारी अपमान का बदला लेने के लिए उनके स्कूल में पहुंच गए और बच्चों को खूब डॉट लगवाई।

अट नहीं रही है कविता में फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?

फागुन में सर्वत्र मादकता सुन्दरता छाई रहती है। प्राकृतिक शोभा अपने पूर्ण यौवन पर होती है। पेड़-पौधे नए पत्तों, फल फूलों से लद जाते हैं, हवा सुगन्धित हो उठती है। आकाश साफ-स्वच्छ होता है। पक्षियों के समूह आकाश में विहार करते दिखाई देते हैं। बाग-बगीचों और पक्षियों में उल्लास भर जाता है। प्रकृति ईश्वरीय शोभा को ले कर प्रकट हो जाती है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है। यह महीना तो अपार सुखदायी बन कर सबके मन को मोह लेता है।

कन्यादान कविता में बेटी को अन्तिम पूँजी क्यों कहा गया है?

'कन्यादान' कविता में बेटी को अंतिम पूंजी इसलिए कहा गया है कि वह माता-पिता की लाड़ली होती है। उसके ससुराल जाने के बाद माँ बिलकुल खाली हो जाएगी। बेटी पर उसका सारा ध्यान केन्द्रित है। यह उसके जीवन की संचित पूँजी है। जब वह कन्यादान कर देगी तो उसके पास कुछ न बचेगा। माँ अपनी बेटी के सबसे निकट और सुख-दुख की सहयोगिनी होती है। इसी से माँ उसे अपनी अंतिम पूँजी मानकर अत्यंत भावुक हो जाती है।

फादर बुल्के की अंतिम यात्रा पर उमड़ती हुई भीड़ और तरल आँखों को देखकर आपके मन में क्या आश्चर्य होता है?

फादर बुल्के की अंतिम यात्रा में दूर दूर से लोग शामिल होने आए। उनकी मृत्यु का दुखद समाचार जिसने भी सुना यह अपने को रोक न सका। शव यात्रा के इस जन सैलाब को देखकर और रोती हुई प्रत्येक आंखों को देखकर लेखक के मुह से निकल पड़ा कि नम आंखों को गिनना स्याही फैलाने जैसा है। उनकी इस शव यात्रा में जैनेंद्र कुमार, विजेंद्र कुमार, अजीत कुमार, डॉ निर्मला जैन, मसीही समुदाय के लोग, पादरी गण, साधुओं द्वारा धारण किए जाने वाले गेरूए वस्त्र पहने इलाहाबाद से प्रसिद्ध विज्ञान शिक्षक डॉक्टर सत्य प्रकाश और डॉक्टर रघुवंश जैसे महान शिक्षाविद शामिल हुए। इस भीड़ को देख कर अनुमान लगाया जा सकता है कि इस व्यक्ति से लोग कितने प्रभावित थे। फादर का अपने प्रियजनों के प्रति प्रेम, स्नेह, ममता और अपनत्व की भावना लोगों को अपनी ओर खींच लाई, जो किसी आश्चर्य से कम न था।

हालदार साहब को पानवाले की कौन-सी बात अच्छी नहीं लगी और क्यों?

हालदार साहब द्वारा कैप्टन के बारे में पूछने पर पानवाला कहता है कि कैप्टन तो लंगड़ा है, वह फौज़ में क्या जाएगा। वह तो पागल है, पागल। पानवाले के द्वारा कैप्टन का इस प्रकार मजाक उड़ाया जाना हालदार साहब को अच्छा नहीं लगा क्योंकि शारीरिक रूप से असमर्थ होते हुए भी कैप्टन के मन में नेताजी के प्रति सम्मान की भावना थी। नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति उसे आहत करती थी इसलिए वह उस पर चश्मा लगा देता था।