अपठित गद्यांश class 9 cbse board hindi

टेलीपैथी और पूर्वाभास , यानी सपने में या जागते हुए कहीं और घटित हो रही , या घटित होने जा रही घटनाओं का अंदाजा हो जाना , एक ऐसा क्षेत्र है , जिसमें घुसते हए विज्ञान के पाँव थरथराते हैं । किसी घटना के बार । कोई सचना प्राप्त करने के लिए उसके साथ किसी - न - किसी तरह का संपर्क होना ज़रूरी है - यह चाहे सीधे पेक्षण के रूप में हो या किसी माध्यम के ज़रिए । यह सिलसिला टटते ही तर्क की बनियाद दरकने लगती है । समस्या यह है कि विज्ञान के पास अपने खुद के पूर्वाभासों की भी एक श्रृंखला है , जिसका सिर - पैर समझना इतना मश्किल है कि इस काम के लिए साइंस ऑफ़ द साइंसेज नाम के एक अलग शास्त्र की माँग की जाती रही है । अठारहवीं सदी की गणितज्ञ मारिया एग्नेसी रेखागणित की जटिल समस्याओं के हल नींद में खोज लेती थीं और आंख खुलते ही उन्हें कॉपी में उतार देती थीं । पिछली सदी के जीनियस भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का कहना था कि उनकी कुलदेवी नामगिरि सपने में आकर उनके कठिन सवाल सुलझा जाती हैं । बेंजीन की संरचना पर काम कर रहे फ्रेडरिक केकुले को सपने में एक साँप दिखा जो अपनी पूँछ अपने मुँह में दबाए हुए था और यहीं से एक शास्त्र के रूप में ऑर्गेनिक केमिस्ट्री की नींव पड़ गई । अल्बर्ट आइंस्टाइन ने जनरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी तक पहुँचाने वाला अपना गेडानकेन एक्सपेरिमेंट एक दोपहर में दिवास्वप्न देखते हुए किया था । इन सारे पूर्वाभासों की एक आम व्याख्या यह की जाती है कि अपने दिलोदिमाग की सारी ताकत झोंककर यदि आप किसी समस्या पर काम कर रहे हैं तो आपका अवचेतन भी इसमें मददगार बन जाता है ।

( क ) स्वप्न या जाग्रत अवस्था में घटित होने जा रही घटनाओं का अंदाज़ा हो जाना क्या कहलाता है ? 

( ख ) विज्ञान के पूर्वाभासों को समझने के लिए आजकल किस शास्त्र की माँग की जा रही है ? 

( ग ) गणितज्ञ मारिया एग्नेसी किन समस्याओं का हल नींद में खोज लेती थीं ? 

( घ ) तर्क की बुनियाद कब दरकने लगती है ? 

( ङ ) ऑर्गेनिक केमिस्ट्री की नींव कैसे पड़ी ?

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