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Showing posts from March 25, 2021

"उनका बेटा बीमार है, इसकी खबर रखने की लोगों को कहाँ फुरसत ? पंक्ति में आधुनिक युग के मानव की किस मानसिकता पर व्यंग्य किया गया है?

इस पंक्ति द्वारा लेखक ने मानव की उस स्वार्थी प्रवृत्ति की मानसिकता पर व्यंग्य किया है जिसमे उसे अपने सिवाय दूसरा कोई नजर ही नहीं आता | वर्तमान समय में व्यक्ति अपने क्रियाकलापों में ही इतना व्यस्त हो गया है कि दूसरे के बारे में सोचने का उसके पास वक्त भी नहीं है। इस प्रकार की प्रवृत्ति मनुष्य की संवेदनहीनता की परिचायक है।

'लखनवी अंदाज़' पाठ के नवाब साहब पतनशील सामन्ती वर्ग के जीते-जागते उदाहरण हैं। टिप्पणी लिखिए।

लखनवी अंदाज़' पाठ के नवाब साहब पतनशील सामंती वर्ग के जीते-जागते उदाहरण हैं वास्तविकता से बेखबर, बनावटी जीवन शैली जीने वाले नवाब साहब ने ट्रेन में लेखके की संगति के प्रति कोई उत्साह नहीं दिखाया खानदानी रईस बनने का अभिनय करते हुए खीरा खाने में भी ये नजाकत दिखाते हैं और उसे सूंचने मात्र से पेट भरने की झूठी तुष्टि करते हैं।

पानवाला एक हँसोड़ स्वभाव वाला व्यक्ति है, परन्तु उसके हृदय में संवेदना भी है। इस कथन पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

पानवाला एक हंसोड़ स्वभाव वाला व्यक्ति है परन्तु उसका हृदय संवेदनशील भी है हालदार साहब ने जब मूर्ति की आँखों पर चश्मा नहीं देखा तो उन्होंने लिए पानवाले से पूछा तो उसने उदास होकर अपनी आँखें पोंछते हुए बताया कि कैप्टन मर गया। पानवाला गंभीर बात को भी हँस कर बताता था पर कैप्टन की मृत्यु पर दुःख प्रकट करना उसकी संवेदनशीलता का उदाहरण है।

कवि ने 'उत्साह' कविता बादलों को क्यों सम्बोधित की है?

कवि ने उत्साह कविता बादलों को इसलिए संबोधित की है क्योंकि 'बादल' निराला का प्रिय विषय है | जहाँ कविता में बादल एक ओर प्यास से पीड़ित लोगों की प्यास बुझाने वाला है वहीं दूसरी ओर उसे नवीन कल्पना और नवांकुर के लिए विप्लव और क्रांति चेतना को संभव करने वाला भी माना है ।

धनुष टूटने के बाद परशुराम ने फरसे की तरफ देख कर लक्ष्मण को न मारने का क्या तर्क दिया?

राम-लक्ष्मण और परशुराम संवाद में धनुष टूटने पर परशुराम ने लक्ष्मण को न मारने का तर्क दिया कि वह उन्होंने उसे बालक समझकर उसे अभी तक छोड़ा हुआ है । परशुराम ने अपने फरसे की प्रशंसा की कि वह सहस्रबाहु की भुजाओं को काट देने वाला और गर्भ के बच्चों का नाश करने वाला है। यह छोटे-बड़े की भी परवाह नहीं करता। भगवान परशुराम आगे लक्ष्मण से कहते हैं कि अगर आपने इसी उदंडता से और बात की तो मैं इस फरसे से तुम्हारा सर धड़ से अलग कर दूंगा । 

साँप का भय तथा माँ की गोद में शरण की घटना को माता का अँचल पाठ के आधार पर अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।

लेखक और उसके साथी मकई के खेत में दौड़ पड़े । वहाँ खेल के दौरान वे सब चूहों के बिल में पानी उलीचने लगे । उनमे से जब चूहे बाहर निकल कर आते तो उन्हें बड़ा ही मजा आता। ऐसे ही एक बिल में से अचानक सांप निकल कर आया। सब बच्चे रोते चिल्लाते गिरते-पड़ते बेहताशा भागे कोई आँधा गिरा ,कोई चित्ता। किसी का सिर फूटा, किसी के दाँत। सारी देह लहूलुहान हो गई। पैरों के तलवे काँटों से छलनी हो गए लेखक लहूलुहान, बदहवास-सा होकर दौड़ा हुआ आया और घर में घुस गया। बाबूजी बरामदे में हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे उन्होंने पुकारा किंतु लेखक सीधा माँ की गोद में जा छिपा। माँ उस समय चावल साफ कर रही थी। अपने काम को उन्होंने वहीं छोड़ दिया । बच्चे को काँपता देखकर माँ का दिल भर आया और वे रोने लगी।उसके अंग दबाते हुए वे उसे चूमने लगी। वे उसे प्यार करते हुए उससे डरने का कारण पूछने लगी। उन्होंने झटपट हल्दी पीसकर घावों पर लगाई। सारे घर में कुहराम मच गया। लेखक धीमे स्वर में "साँ... स.... सा....." ही कह पाता था। सारा शरीर थर-थर काँप रहा था। आँखें चाहकर भी नहीं खुलती थी। माँ उसे बड़े लाड़ से गले लगाए हुए थी। बाबूजी ने दौड़कर उस...

और देखते ही देखते नई दिल्ली की काया पलट होने लगा -नई दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए?

1. नई दिल्ली का कायापलट करने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए गए होंगे: सभी मुख्य इमारतों की मरम्मत की गई होगी तथा उन्हें रंगा होगा। 2. सड़कों को पानी से धोया जा रहा होगा। 3. वहाँ रोशनी की व्यवस्था की गई होगी। 4. रास्तों पर दोनों देशों के झंडे लगाए गए होंगे। 5. गरीबों को सड़कों के किनारे से हटाया गया होगा। 5. दर्शनीय स्थानों की सजावट की गई होगी। 6. सभी सरकारी भवनों को रंगा गया होगा। 7. कहीं कोई त्रुटि न रह जाए, इस पर विशेष ध्यान दिया गया होगा। 8. रानी की सुरक्षा के कड़े प्रबन्ध किए गए होंगे। 9. मुख्य मार्गों के किनारे के पेड़ों की कटाई-छंटाई की गई होगी। जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए होंगे। सरकारी भवनों पर दोनों देशों के ध्वज लगाए गए होंगे।

ऐसा कौन-सा दृश्य लेखिका ने देखा जिसने उनकी चेतना को झकझोर डाला? "साना-साना हाथ जोड़ि" पाठ के आधार पर संक्षेप में लिखिए।

प्रकृति के अनुपम सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कई दृश्य झकझोर गए। लेखिका जब प्रकृति के अलौकिक सौन्दर्य में डूबी हुई थी; उसी समय उसका ध्यान पत्थर तोड़ती हुई पहाड़ी औरतों पर गया। जिनके शरीर तो गुंथे हुए आटे के समान कोमल थे किन्तु उनके हाथों में कुदाल और हथौड़े थे। उनमें से कुछ की पीठ पर बँधी एक बड़ी टोकरी में उनके बच्चे भी थे। इतने स्वर्गीय सौन्दर्य के बीच मातृत्व और श्रम साधना के साथ-साथ भूख, मौत, दैन्य और जिदा रहने की जंग जो पहाड़ों में रास्ता बनाने वाली ये श्रमिक औरतें झेल रही हैं। बर्फ से ढके आधे हरे काले पहाड़ जिन पर ताजी बर्फ का पाउडर छिड़का गया हो गया हो। चिकने चिकने गुलाबी पत्थरों के बीच इठला कर बहती चांदी की तरह चमकती बनी ठनी तीस्ता नदी और दूध की धार की तरह झर - झर गिरते जलप्रपात प्राकृतिक सौन्दर्य में इन दृश्यों ने लेखिका की चेतना को झकझोर डाला।