बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण इसलिए थी क्योंकि वे सुबह उठकर दो मील दूर नदी में स्नान करने जाते थे। किसी भी मौसम का कोई भी असर उन्हें रोक नहीं पाता था। दोनों समय ईश्वर के गीत गाना, ईश्वर की साधना में लगे होते हुए भी गृहस्थी के कार्यों से वे कभी भी विरत नहीं हुए। प्रत्येक वर्ष गंगा स्नान के लिए जाना और संत समागम में भाग लेना उन्होंने अंत समय तक नहीं छोड़ा।
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