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Showing posts from December 9, 2019

अपठित गद्यांश class 9 cbse board hindi

महानगरीय जीवन में प्राय : ऐसा होता है कि हम लंबे समय तक अपने निकट के पड़ोसियों का चेहरा तक नहीं देख पाते । बस कुछ आवाजें हमें उनसे जोड़ती रहती हैं । कुछ साल पहले की बात है । जब मैं एक बार एक सोसायटी में किराए पर रहने गया , तो सुबह - शाम एक स्त्री के पूजा करने और भजन गाने की तेज़ आवाज सुनाई पड़ती थी । ऐसा लगता था कि वह महिला इस बात से बेपरवाह है कि उसकी आवाज आसपास भी पहुँच । रही है और लोगों की दिनचर्या में व्यवधान डाल रही है । समझ में नहीं आता था कि आवाज़ किस फ्लैट से आती है । शुरू - शुरू में तो उसके बेसुरे भजन पर हँसी और गुस्सा भी आया कि आखिर वह कैसी महिला है जिसे इस बात की चिंता ही नहीं है कि लोग क्या कहेंगे । खैर , एक दिन पता चला कि वह ठीक सामने वाले फ्लैट में ही रहती है । मेरी पत्नी ने बताया कि वह दिनभर पूजा - अर्चना में लगी रहती है । कभी ज़ोर - जोर से मंत्रोच्चार करती है तो कभी भजन गाने लगती है । उत्सुकतावश मैंने अपनी बॉलकनी से उन लोगों को देखा । मेरे सामने पति - पत्नी और दो बच्चों का एक खुशहाल परिवार था । अगले दिन मेरी छुट्टी थी । उस दिन एक विचित्र बात हुई । उस महिला ने प्रार्थना...

अपठित गद्यांश class 9 cbse board hindi

एक बार काशी के राजा सुशर्मा से उनके दरबार में एक व्यक्ति ने प्रश्न किया , " राजन् , मनुष्य के जीवन में भक्ति का महत्व अधिक है या सेवा का ? " काशी नरेश असमंजस में पड़ गए । उन्होंने उसका कोई जवाब नहीं दिया लेकिन वह इस पर लगातार सोचते रहे । कुछ समय बाद राजा शिकार के लिए जंगल में अकेले गए । घने जंगल में वे रास्ता भटक गए । शाम हो गई । उन्हें न तो शिकार मिला और न ही जंगल से निकलने का रास्ता सूझा । प्यास से उनका बुरा हाल हो गया था । काफ़ी देर भटकने के बाद उन्हें एक कुटिया दिखाई पड़ी । वह किसी संत की कुटिया थी । राजा किसी तरह कुटिया में गए और ' पानी - पानी ' चिल्लाते हुए मूच्छित हो गए । कुटिया में । संत समाधि में लीन थे । वह अपना आसन छोड़ राजा के पास गए और उन्हें पानी पिलाया । पानी पीकर राजा की चेतना लौट आई । राजा को जब मालूम हुआ कि संत समाधिस्थ थे तो उन्होंने कहा , " मुनिवर , मेरी वजह से आपके ध्यान में खलल पड़ा । मैं दोषी हूँ । मुझे प्रायश्चित्त करना होगा । " । संत ने कहा , “ राजन् , आप दोषी नहीं हैं इसलिए प्रायश्चित्त करने का प्रश्न ही नहीं है । प्यासा पानी माँगत...