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Showing posts from July 8, 2021

साना-साना हाथ जोड़ि में कहा गया है कि कटाओ पर किसी दुकान का न होना वरदान है, ऐसा क्यों? भारत के अन्य प्राकृतिक स्थानों को वरदान बनाने में नवयुवकों की क्या भूमिका हो सकती है? स्पष्ट कीजिए।

अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के कारण कटाओ को भारत का स्विट्जरलैण्ड कहा जाता है या यो भी कह सकते हैं कि यह उससे भी कहीं अधिक सुन्दर है। इसकी यह सुन्दरता इसलिए भी विद्यमान है क्योंकि यहाँ एक भी दुकान नहीं है। क्योंकि दुकानें प्रदूषण फैलाने का एक जरिया बन जाती हैं। लोग सामान खरीदते और कचरे को वहीं पड़ा छोड़ देते; जिसके कारण इसकी सुन्दरता नष्ट हो जाती। दुकानदार भी इस और कोई ध्यान नहीं देते। बिखरा कचरा गंदगी को बढ़ावा देता है। जिससे अन्य सैलानियों को भी गंदगी का सामना करना पड़ता है। भारत के अन्य प्राकृतिक स्थानों को भी इसी के समान सुन्दर बनाने के लिए नवयुवकों के द्वारा जनजागरण के कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। प्रकृति का महत्व समझाया जाए जिसके माध्यम से प्राकृतिक स्थानों के महत्व को स्पष्ट किया जाना चाहिए। लोगों को यह समझाना चाहिए कि उन्हें प्राकृतिक सौन्दर्य को बर्बाद नहीं करना चाहिए अपितु प्राकृतिक संपदा का समुचित उपयोग सिखाया जाए जिससे आने वाली पीढ़ी इसका सदुपयोग कर सके।

आज की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?

आज की पत्रकारिता युवा पीढ़ी पर निम्नलिखित प्रभाव डालती है a. आज की युवा पीढ़ी नए चकाचौंध से तुरत प्रभावित होती है। यदि सामने वाला व्यक्ति पश्चिमी सभ्यता से ज्यादा प्रभावित है तो स्वाभाविक रूप से वह युवा उनके रहन-सहन का वर्णन करेगा जिसका प्रभाव उसके जीवन पर भी स्वाभाविक रूप से परेगा ही। b. इससे समाज का संतुलन बिगड़ने और आदर्शों को नुकसान पहुंचने का डर रहता है। इस तरह की पत्रकारिता युवा पीढ़ी को भ्रमित एवं कुंठित करती है। जैसा सर्विदित है कि युवा पीढ़ी देश की रीढ़ है, उसके कमजोर होने से देश का संतुलन बिगड़ जाएगा युवा पत्र-पत्रिकाओं को पढ़कर चर्चित हस्तियों के खान-पान एवं पहनावे को अपनाने पर मजबूर हो जायेंगे। वे अपनी इन इच्छाओं की पूर्ति के लिए उचित-अनुचित मार्ग अपनाने में भी संकोच नहीं करेंगे। इससे दिखावा, बनावटीपने और हिंसा आदि बढ़ेगी, क्योंकि पत्रकारिता दबंग और अपराधी छवि वाले व्यक्तियों को नायक की तरह प्रस्तुत करती है।