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Showing posts from October 12, 2021

फादर बुल्के की जन्मभूमि और कर्मभूमि कौन-कौन सी थीं? कर्मभूमि की किन विशेषताओं से वे प्रभावित थे?

फादर मुल्के की जन्मभूमि बेल्जियम में रेम्सचेंपल थी। उन्होंने अपनी कर्मभूमि भारत को बनाया कर्मभूमि भारत की सभ्यता और संस्कृति स वे बहुत प्रभावित थे। साथ ही उनके मन में हिन्दू धर्म के मर्म को समझने की जिज्ञासा थी।

शीला अग्रवाल जैसी प्राध्यापिका किसी भी विद्यार्थी के जीवन को कैसे संवार सकती है?

शीला अग्रवाल जैसी प्राध्यापिका किसी भी विद्यार्थी के जीवन को इस प्रकार संवार सकती हैं a. विद्यार्थी का उचित मार्गदर्शन करके।  b. उसकी सोच-समझ का दायरा बढ़ाकर।  c. उसकी रुचियों का विकास करने का अवसर देना।। d. स्वयं को उनके समक्ष आदर्श रूप में प्रस्तुत करके।

नवाब साहब खीरों की फाँकों को खिड़की से बाहर फेंकने से पहले नाक के पास क्यों ले गए? उनके इस कार्यकलाप का क्या उद्देश्य था?

खीरों की फांकों को खिड़की से बाहर फेंकने से पहले नवाब साहब नाक के पास वासना से रसास्वादन के लिए ले गए थे। उनके इस क्रियाकलाप का उद्देश्य यह दिखाना था कि खीरा खाकर पेट भरना तो सामान्य मनुष्य का काम है। हम जैसे रईस तो उसे सूंघने मात्र से ही संतुष्ट हो जाते हैं।

गर्मियों की उमस में भगत का आँगन शीतलता प्रदान करता था। कैसे?

गर्मी की उमस भगत जी के स्वरों को निढाल नहीं कर पाती थी, बल्कि उनके संगीत से वातावरण शीतल हो जाता था। अपने घर के आंगन में आसन जमा बैठते। गांव के कुछ संगीत प्रेमी भी उनका साथ देते। खंजड़ी और करतालों की संख्या बढ़ जाती। एक पद गोविंद जी कहते, पीछे उनकी मंडली उसे दूसरी बार तीसरी बार बोलती जाती। एक निश्चित ताल, एक निश्चित गति से धीरे धीरे स्वर ऊंचा होने लगता उस ताल- स्वर चढ़ाव के साथ श्रोताओं के मन भी ऊपर उठने लगते। धीरे धीरे मन तन पर हावी हो जाता अर्थात लोगों के मन के साथ साथ उनका शरीर भी झूमने लगता। एक क्षण ऐसा भी आता जब भगत जी नाच रहे होते तथा सभी उपस्थित लोगों के तन मन भी झूम रहे होते। सारा आंगन नृत्य और संगीत से भरपूर हो जाता तथा गर्मी की उमस भी शीतल प्रतीत होने लगती।