एडीसन का पूरा नाम थॉमस एल्वा एडीसन था

प्रस्तावना:- प्रस्तुत पाठ में बच्चों को महान् वैज्ञानिक टामस एल्वा एडीसन की जीवनी तथा उनके द्वारा किए गए आविष्कारों के विषय में जानकारी दी गई है ।

एडीसन एकमात्र ऐसे वैज्ञानिक हुए हैं जिन्होंने 1000 से अधिक आविष्कार किए । आओं देखें कि बचपन मे अच्छा स्वास्थ्य न होने पर भी एडीसन इतने महान वैज्ञानिक कैसे बने । आज मानव विज्ञान के युग में रह रहा है । विज्ञान ने मानव के जीवन को सरल एवं सुगम बना दिया है । बिजली , मोटर , टेलीविजन , टेलिफोन , रेडियो , वायुयान , जलयान , रॉकेट उपग्रह , कंप्यूटर और न जाने कितनी वस्तुएँ विज्ञान की ही देन है । आज हम इनके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते । इस समय भी जब आप यह पुस्तक पढ़ रहे होंगे , संसार के विभिन्न देशों में विज्ञान के नए - नए आविष्कार हो रहे होंगे । बच्चो ! विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐसा भी वैज्ञानिक हुआ है जिसके अदभत कारनामों से संसार चकित रह गया । उस वैज्ञानिक का नाम था — एडीसन ।

 एडीसन का पूरा नाम थॉमस एल्वा एडीसन था । उसका जन्म अमेरिका के मलीन नामक शहर में 11 फरवरी , सन् 1847 में हुआ था । उसके पिता का नाम सैमुअल एडीसन था । वह सेना में नौकरी करते थे । एडीसन की माता का नाम लैंसी इलियट था , जो एक विद्यालय में अध्यापिका थीं । बचपन में एडीसन का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता था । किंतु उनकी बुद्धि तेज तथा शक्ति अद्वितीय थी । वह हर वस्तु को बड़ी ध्यान से देखता और उसके विषय में जानने का प्रयत्न करता । वह बार - बार प्रश्न करता और जब तक उत्तर से संतुष्ट न हो जाता , तब तक पूछता रहता था । उसके कुछ प्रश्न तो इतने अटपटे होते कि लोगों को क्रोध आ जाता । ऐसी ही एक घटना का वर्णन हम यहाँ कर रहे हैं ।

 एक बार कक्षा में अध्यापिका बच्चों को पक्षियों के बारे में कुछ बता रही थी । तभी एडीसन ने खड़े होकर उनसे प्रश्न पूछा - " मैडम ! हम पक्षियों की तरह क्यों नहीं उड़ सकते ? " अध्यापिका ने उत्तर दिया - " क्योंकि हमारे पंख नहीं होते , जबकि पक्षियों के पंख होते हैं । एडीसन इस उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ । उसने फिर पूछा " मैडम ! पंख तो पतंग के भी नहीं होते । फिर वह कैसे . उड़ती है ? ऐसा अटपटा प्रश्न सुनकर सारे बच्चे खिलखिलाकर हँसने लगे । अध्यापिका को क्रोध आ गया । उन्होंने सोचा कि एडीसन ने यह प्रश्न उन्हें चिढ़ाने के लिए पूछा था । परिणाम यह हुआ कि एडीसन को विद्यालय से निकाल दिया गया । इस घटना के समय एडीसन की आयु केवल आठ वर्ष की थी । इसके बाद वह विद्यालय नहीं गया । उनकी शिक्षा घर पर ही माता की देख - रेख में हुई । बचपन में एडीसन को जेब खर्च के जो पैसे मिलते उनसे वह खिलौने खरीदता और उन पर वह विज्ञान के परीक्षण करता । पुत्र के इस शौक को देखकर उसकी माता बड़ी प्रसन्न होती । उसे अपने पुत्र से बड़ी - बड़ी आशाएँ थी , इसलिए वह एडीसन को सदा प्रोत्साहित करती रहती थीं । जैसे - जैसे एडीसन बड़ा होने लगा , वैसे - वैसे उसकी आवश्यकतााएँ भी बढ़ने लगी । वह नए नए प्रयोगों के लिए और सामान खरीदना चाहता था । परंत उसके माता - पिता की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि उस और पैसा है सके । इसलिए एडीसन ने बारह वर्ष की आय में रेलगाडी में सब्जी तथा समाचार - पत्र बचना प्रारंभ कर दिया ।

 समय का सदुपयोग करने के लिए उसने रेलगाड़ी में एक छोटी - सी प्रयोगशाला बना ली । एक बार प्रयोगशाला में परीक्षण करते समय रेलगाड़ी के डिब्बे में आग लग गई । क्रोध में आकर गार्ड ने एडीसन को कनपटी पर इतना जोर से घुसा मारा कि वह एक कान से बहरा हो गया । यह बहरापन स्थाई हो गया और एडीसन को जीवन भर एक कान से कम सनाई देने लगा । जब एडीसन बड़े हुए तो उन्हें नए - नए प्रयोगों के लिए काफी धन की आवश्यकता पड़ी । धन की पूर्ति के लिए वे न्यूयॉर्क चले गए । वहाँ उनके एक मित्र ने उन्हें एक कारखाने में नौकरी दिला दी । एक दिन अचानक कारखाने की मख्य मशीन में कुछ खराबी आ गई । कारखाने के इंजीनियरों तथा मिस्त्रियों ने बहुत प्रयत्न किए लेकिन वे मशीन को ठीक न कर सके । कारखाने का सारा कारोबार ठप्प हो गया । तब एडीसन ने मैनेजर से मशीन ठीक करने की अनमति माँगी । एडीसन ने अपनी कुशलता का परिचय देते हुए मशीन को तुरंत ठीक कर दिया । एडीसन के इस कार्य में प्रसन्न होकर मैनेजर ने उसे सभी कर्मचारियों का इंचार्ज बना दिया । एडीसन का मासिक वेतन भी बढ़ाकर 300 डॉलर कर दिया । थोडे दिनों बाद ही एडीसन ने संकेत भेजने की एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया कि लोग उसे देखकर दंग रह गए । इस अद्भुत आविष्कार के लिए उन्हें चालीस हजार डॉलर पुरस्कार में मिले । धीरे - धीरे एडीसन की आर्थिक समस्या हल होती चली गई ।

 उन्होंने एक निजी प्रयोगशाला स्थापित कर ली और भाँति - भाँति के प्रयोग करने लगे । अगले कुछ वर्षों में उन्होंने कई आविष्कार किए , जिससे उन्हें धन के साथ - साथ प्रतिष्ठा की भी प्राप्ति हुई । धन का उपयोग एडीसन ने मैंग्लोपार्क में एक विशाल कारखाने की स्थापना में किया । इस कारखाने में वह नित्य नए यंत्र बनाने लगे । उनके नित्य नए यंत्र को देखकर लोग एडीसन को ' मैंग्लोपार्क का जादूगर कहने लगे । गो गाई या एडीसन में एक विशेषता यह थी कि वे अपने कर्मचारियों के साथ मित्रों जैसा बर्ताव करते थे । वे उनके साथ भोजन करते तथा उनके कार्यक्रमों में भाग लेते । मालिक और नौकर में कोई भेद भाव नहीं था । _ _ _ एडीसन प्रतिदिन बीस - बीस घंटे काम करते थे । उन्हें नए आविष्कार करने की इतनी चाह थी कि रबड़ के पौधों की खोज के लिए 80 वर्ष की आयु में उन्होंने वनस्पति शास्त्र का गहन अध्ययन किया । उन्हें अपने उद्देश्य में सफलता भी मिली ।

 उन्होंने अमेरिका में ही उगने वाला एक ऐसा पौधा खोज निकाला , जिसके रसीले पदार्थ से रबड़ बनाई जा सके । एडीसन के महत्त्वपूर्ण आविष्कारों में एक आविष्कार था ग्रामोफोन का । एडीसन इसे - ' बोलने वाली मशीन ' कहते थे । ग्रामोफोन की विश्व भर में इतनी चर्चा हुई कि स्वयं अमेरिका के राष्ट्रपति ने इसे देखने और सुनने की इच्छा प्रकट की । एडीसन ने राष्ट्रपति भवन जाकर उनके सामने मशीन क गुणों का प्रदर्शन किया । ग्रामोफोन के आविष्कार से एडीसन का नाम सारे संसार में प्रसिद्ध हो गया ।

 एडीसन को जिस आविष्कार के लिए सबसे अधिक जाना जाता है , वह है बिजली के बल्ब का आविष्कार । इसका आविष्कार उन्होंने सन् 1879 में किया । जिस समय एडीसन बिजली के बल्ब के आविष्कार पर प्रयोग कर रहे थे , तो अनेक वैज्ञानिकों ने उनकी खिल्ली उड़ाई । उनका मानना था कि बिजली से प्रकाश उत्पन्न करना संभव नहीं है । परंतु एडीसन अपने काम में लगे रहे । कई वर्षों परिश्रम तथा एक हजार से भी अधिक प्रयोग करने के बाद अन्ततः उन्हें सफलता मिल ही गई । जनवरी सन् 1880 में अपनी प्रयोगशाला में पहली बार बिजली का बल्ब जलाकर एडीसन ने मानों सारे संसार को जगमगा दिया हो ।

एडीसन के आविष्कारों की सूची में एक हजार से भी अधिक आविष्कार शामिल हैं । इसी कारण उन्हें ' फादर ऑफ इवेंशन ' के नाम से भी जाना जाता है । 84 वर्ष की आयु में सन् 1931 में संसार को प्रकाश देने वाली यह ज्योति सदा के लिए बुझ गई । किंतु मानव - कल्याण के लिए उन्होंने जो आविष्कार किए , वे संसार को सदा प्रकाशमान करते रहेंगे ।

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