शिशु का मूल नाम तारकेश्वर नाथ था। उसके पिता शिवभक्त थे। सुबह नहला-धुला कर वे उसे अपने पास पूजा में बिठा लेते समीप बिठाकर वे उसके ललाट पर भभूत लगाकर त्रिपुंडाकार का तिलक लगा देते। लम्बी जटाएं होने के कारण वह खासा यमभोला प्रतीत होता पिताजी शिशु से कहते कि बन गया भोलानाथ। फिर तारकेश्वर नाथ न कहकर धीरे धीरे उसे भोलानाथ कहकर पुकारने लगे और फिर नाम हो गया भोलानाथ।
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