"उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की"- कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
कवि अपने जीवन की पिछली घटनाओं को याद करते हुए कहता है कि मैं उन मधुर चाँदनी रातों की उज्ज्वल गाथा को कैसे गाऊँ अर्थात् उन मधुर क्षणों को कैसे प्रकट करूँ, जिसमें हँसते-खिलखिलाते हुए प्रिया के साथ बातें होती थी, क्योंकि वह सुख तो मेरी बाहों में आने से पहले ही मुसकुराकर मुझसे दूर चला गया।
Comments
Post a Comment