कई बार सुखी जीवन की स्मृतियों मनुष्य के लिए उस समय सहारा बन जाती हैं, जब वह दुःखी होता है। आज कवि अपनी प्रिया की उन यादों का सहारा लेकर अपने जीवन के रास्ते की थकान दूर करता है, जिसमें उसके लालिमायुक्त गालों को देखकर ऐसा लगता था जैसे प्रेम बिखेरती उषा उदित हो रही हो।
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