विजय नगर,
नई दिल्ली
१६ मार्च २०१९
आदरणीय पिताजी सादर चरण-कमल स्पर्श
आशा है आप सकुशल होंगे ? आप पिछले माह मुझसे मिलने भी नहीं आए | आज मैं आपसे कुछ बताना चाहता हूँ कि मुझसे अनजाने में एक गलती हो गयी है। वह यह है कि आपने जो घड़ी मुझे पुरस्कार में दी थी वह कहीं खो गई है। मैंने उसे बहुत ढूंढा लेकिन यह नहीं मिली। मुझे पता है कि वह बहुत कीमती थी और उसे आपने बड़े चाव से मेरे लिए खरीदा था। में अत्यन्त शर्मिन्दा होकर यह क्षमा याचना पत्र लिख रहा हूँ। मुझसे अनजाने में यह भूल हुई जिसके कारण अत्यन्त लज्जित हूँ। इस गलती के कारण मैं आपके सामने भी नहीं आ पा रहा हूँ। अतः विनम्र प्रार्थना है कि अनजाने में हुई गलती के लिए मुझे क्षमा दान दें। मैं आपका आभारी रहूँगा। शेष कुशल है। माताजी को सादर चरण स्पर्श तथा छोटे भाई-बहिनों को हार्दिक स्नेह स्वीकार हो।
आपका आज्ञाकारी पुत्र
विनोद सिंह
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