कन्यादान कविता में बेटी को अन्तिम पूँजी क्यों कहा गया है?

'कन्यादान' कविता में बेटी को अंतिम पूंजी इसलिए कहा गया है कि वह माता-पिता की लाड़ली होती है। उसके ससुराल जाने के बाद माँ बिलकुल खाली हो जाएगी। बेटी पर उसका सारा ध्यान केन्द्रित है। यह उसके जीवन की संचित पूँजी है। जब वह कन्यादान कर देगी तो उसके पास कुछ न बचेगा। माँ अपनी बेटी के सबसे निकट और सुख-दुख की सहयोगिनी होती है। इसी से माँ उसे अपनी अंतिम पूँजी मानकर अत्यंत भावुक हो जाती है।

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