साँप का भय तथा माँ की गोद में शरण की घटना को माता का अँचल पाठ के आधार पर अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
लेखक और उसके साथी मकई के खेत में दौड़ पड़े । वहाँ खेल के दौरान वे सब चूहों के बिल में पानी उलीचने लगे । उनमे से जब चूहे बाहर निकल कर आते तो उन्हें बड़ा ही मजा आता। ऐसे ही एक बिल में से अचानक सांप निकल कर आया। सब बच्चे रोते चिल्लाते गिरते-पड़ते बेहताशा भागे कोई आँधा गिरा ,कोई चित्ता। किसी का सिर फूटा, किसी के दाँत। सारी देह लहूलुहान हो गई। पैरों के तलवे काँटों से छलनी हो गए लेखक लहूलुहान, बदहवास-सा होकर दौड़ा हुआ आया और घर में घुस गया। बाबूजी बरामदे में हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे उन्होंने पुकारा किंतु लेखक सीधा माँ की गोद में जा छिपा। माँ उस समय चावल साफ कर रही थी। अपने काम को उन्होंने वहीं छोड़ दिया । बच्चे को काँपता देखकर माँ का दिल भर आया और वे रोने लगी।उसके अंग दबाते हुए वे उसे चूमने लगी। वे उसे प्यार करते हुए उससे डरने का कारण पूछने लगी। उन्होंने झटपट हल्दी पीसकर घावों पर लगाई। सारे घर में कुहराम मच गया। लेखक धीमे स्वर में "साँ... स.... सा....." ही कह पाता था। सारा शरीर थर-थर काँप रहा था। आँखें चाहकर भी नहीं खुलती थी। माँ उसे बड़े लाड़ से गले लगाए हुए थी। बाबूजी ने दौड़कर उसे अपनी गोद में लेना चाहा किंतु लेखक ने माँ का आँचल न छोड़ा ।
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