लखनवी अंदाज़' पाठ के नवाब साहब पतनशील सामंती वर्ग के जीते-जागते उदाहरण हैं वास्तविकता से बेखबर, बनावटी जीवन शैली जीने वाले नवाब साहब ने ट्रेन में लेखके की संगति के प्रति कोई उत्साह नहीं दिखाया खानदानी रईस बनने का अभिनय करते हुए खीरा खाने में भी ये नजाकत दिखाते हैं और उसे सूंचने मात्र से पेट भरने की झूठी तुष्टि करते हैं।
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