आधुनिक भारत के निर्माण में दूरदर्शन की भूमिका पर निबंध लेखन । Essay writing on Doordarshan's role in building modern India

संकेत - बिंदु : 1 . प्रस्तावना 2 . विवाद का विषय 3 . दूरदर्शन के लाभ 4 . निष्कर्ष ।

 प्रस्तावना - विज्ञान के जादुई चिराग से जो असंख्य उपहार मनुष्य को मिले हैं उनमें दूरदर्शन का स्थान महत्वपूर्ण है । कहते हैं संजय महाराज ने दिव्य - दृष्टि प्राप्त की थी जिसके बल पर उन्होंने कुरुक्षेत्र से मीलों दूर बैठकर नेत्रहीन धृतराष्ट्र को युद्ध का आँखों देखा हाल सुनाया था । लोगों ने इसे आध्यात्मिक शक्ति का चमत्कार समझा और शायद आज तक समझते रहते यदि दूरदर्शन का यंत्र न बना होता । अमेरिका के विलाडीमीर के० जेरकिन ने इस दिशा में पहल की परंतु दूरदर्शन के आविष्कार का श्रेय मिला इंग्लैंड के जॉन बेयर्ड को जिन्होंने 1926 में विदयुत् तरंगों के साथ बोलते चित्रों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में सफलता प्राप्त की । दूरदर्शन से पूर्व रेडियो , प्रचार - प्रसार एवं मनोरंजन का प्रमुख साधन था । मनोरंजन के लिए सिनेमा एवं समाचारों के लिए समाचार - पत्रों का भी महत्व था । दूरदर्शन के आगमन से रेडियो , समाचार - पत्र और सिनेमा एक साथ घर की मेज़ पर आ गए ।

 विवाद का विषय - भारतीय संचार माध्यम अर्थात् रेडियो और दूरदर्शन , सरकारी नियंत्रण में है । सरकार इनके लिए नीति - निर्धारण करती है । यह स्वाभाविक है कि सत्ताधारी दल अपनी उपलब्धियों को बढ़ा - चढ़ाकर इन माध्यमों से प्रचारित करे । सत्तारूढ़ दल अपनी गलतियों एवं अपने अपराधों को ढकने के लिए इन माध्यमों का प्रयोग कर सकता है । जनता को झूठे प्रचार द्वारा गुमराह किया जा सकता है । जनमत को भटकाया जा सकता है । सत्तारूढ़ दल के भ्रामक प्रचार के कारण इन माध्यमों की विश्वसनीयता नष्ट हो सकती है । सत्तारूढ़ दल अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए ऐसे कार्यक्रमों को दूरदर्शन पर प्रसारित करवा सकता है जिससे विपक्षी दलों को कमज़ोर किया जा सके । क्या सत्तारूढ़ दल को इन माध्यमों का दुरुपयोग करने का अधिकार दिया जा सकता है ? क्या ये माध्यम राष्ट्र की अमानत नहीं हैं ? सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि क्या प्रजातंत्र में जनता को सच्चाई जानने का अधिकार नहीं है ? प्रजातंत्र में हर नागरिक को यह पूर्ण अधिकार है कि उसे इस बात की पूरी जानकारी मिले कि देश में क्या हो रहा है । इस बात को जानने का अधिकार हमारा मौलिक अधिकार है । तानाशाही में शासन गुप्त ढंग से होता है , प्रजातंत्र में नहीं । आवश्यकता इस बात की है कि इसमें सुधार किया जाए ।

 दूरदर्शन के लाभ - दूरदर्शन निश्चय ही अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है । इसके द्वारा शिक्षा दी जा सकती है , स्वस्थ मनोरंजन किया जा सकता है , समाचारों द्वारा जानकारी प्राप्त की जा सकती है , विज्ञापनों द्वारा बने पदार्थ बेचे जा सकते हैं , सरकारी नीतियों का प्रचार किया जा सकता है , सामाजिक बुराइयों से लड़ा जा सकता है , समाज के कमजोर वर्गों की सहायता की जा सकती है , राष्ट्रीय एकता को मज़बूत किया जा सकता है । दूरदर्शन यदि स्वायत्तशासी संस्था बन जाए तो इसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाएगी ।

 निष्कर्ष - संक्षेप में , हम कह सकते हैं कि दूरदर्शन विज्ञान का अमूल्य उपहार है । इससे समाज एवं राष्ट्र का कल्याण हो सकता है । यह विकाशसील राष्ट्र की प्रगति में सहायक हो सकता है परंतु इसके उपयोग में सावधानी रखने की आवश्यकता है ।

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