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नदियों का निरादर

आज देश के सामने नदियों के अस्तित्व का बड़ा सवाल खड़ा है । कारण , देश की 70 फीसदी नदियाँ प्रदूषित हैं और मरने के कगार पर हैं । यह उस देश में हो रहा है , जहाँ नदियों के किनारे बड़े - बड़े नगर सभ्यताएँ विकसित हुई हैं , जहाँ कुंभ जैसे विशाल मेले लगते हैं । जहाँ वेदकाल से नदियों , पहाड़ों , जंगलों , पशु - पक्षियों के सह - अस्तित्व की बात कही गई है । विकास और उपभोग की प्रवृत्ति ने प्रकृति के ताने - बाने को छिन्न - भिन्न कर डाला है । सबसे पूज्य नदियाँ गंगा - यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए हमने 15 अरब रूपए खर्च किए , फिर भी उनकी हालत बदतर है । कहते हैं , पानी अपना रास्ता खुद तलाश लेता है । आखिर , क्यों तलाशना पड़ता है , पानी को रास्ता ? उत्तर स्पष्ट है - उसे कहीं । रोका जा रहा है या फिर उसे रास्ता नहीं दिया जा रहा है और इसी की परिणति है - पानी का रौद्र रूप - बाढ़ । आज हमने नदियों पर तमाम बाँध बनाकर उनकी निरंतर बहने की प्रवृत्ति को रोकने की कोशिश की है । यदि हम किसी के स्वभाव से छेड़छाड़ करेंगे तो दुष्परिणाम ही मिलेगा । हमने इन नदियों के किनारों के जंगली झाड़ियों , घास के मैदानों को नष...

व्यावहारिक कौशल

आज दौर ऐसा नहीं है, जिसमें आप सिर्फ विवेकपूर्ण डिग्री और तकनीकी ज्ञान के बाद ही किसी अच्छी नौकरी के लिए योग्य हो जाएं।  वर्तमान में साफ्ट स्किल पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।  इसी कारण आज लगभग 75 प्रतिशत व्यक्ति ज्यादा सफल माने जाते हैं।  जीवन में मनुष्य की इन्हीं व्यक्तिगत विशेषताओं जैसे - संवाद, भाषा, आत्मविश्वास और सकारात्मक गुणों के बारे में जाना जाता है।  आज इसे 'इंप्लाइंग स्किल्स' या 'की स्किल्स' भी कहते हैं।  यह वे व्यावहारिक गुण है जो हमें भीड़ से अलग करते हैं।  इसमें यह माना जाता है कि हम किस तरह का संवाद कर सकते हैं, प्रेजेंटेशन व रिपोर्ट तैयार करते हैं, समस्याओं को सुलझा सकते हैं, टीम के साथ काम कर सकते हैं, तनाव से निपट सकते हैं, नए सीख सकते हैं व समय के अनुकल हैं।  खुद को बदल सकते हैं।  आज के आर्थिक युग में कंपनियों को लगता है कि सॉफ्ट स्किल्स वाले लोग ही उन्नति में बेहतर योगदान दे सकते हैं और विश्व स्तरीय स्पर्धा में भी शामिल हो सकते हैं।  आविष्कारो से भी साबित हो चका है कि जिन लोगों का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा है, उनमें स...

मोबाइल और इंटरनेट के बिना

जैसे रोशनी की तरह बिन सूरज  पानी बिन चाँद  वैसे मोबाइल बिन हम जै पंख विहीन पंक्षी  दन्त विहीन हस्ती  वैसे मोबा जैसे रोशनी की तरह बिन सूरज  पानी बिन चाँद  वैसे मोबाइल बिन हम जै पंख विहीन पंक्षी  दन्त विहीन हस्ती  वैसे मोबाइल बिन हम  जैसे हृदय बिन धड़कन  पुर्जो बिन मशीन  वैसे इंटरनेट बिन हम  जैसे पानी बिन बादल  खुशबू बिन फूल  वैसे मोबाइल बिन हम Thanks for read इल बिन हम  जैसे हृदय बिन धड़कन  पुर्जो बिन मशीन  वैसे इंटरनेट बिन हम  जैसे पानी बिन बादल  खुशबू बिन फूल  वैसे मोबाइल बिन हम Thanks for read

अपठित गद्यांश class 9 cbse board hindi

महानगरीय जीवन में प्राय : ऐसा होता है कि हम लंबे समय तक अपने निकट के पड़ोसियों का चेहरा तक नहीं देख पाते । बस कुछ आवाजें हमें उनसे जोड़ती रहती हैं । कुछ साल पहले की बात है । जब मैं एक बार एक सोसायटी में किराए पर रहने गया , तो सुबह - शाम एक स्त्री के पूजा करने और भजन गाने की तेज़ आवाज सुनाई पड़ती थी । ऐसा लगता था कि वह महिला इस बात से बेपरवाह है कि उसकी आवाज आसपास भी पहुँच । रही है और लोगों की दिनचर्या में व्यवधान डाल रही है । समझ में नहीं आता था कि आवाज़ किस फ्लैट से आती है । शुरू - शुरू में तो उसके बेसुरे भजन पर हँसी और गुस्सा भी आया कि आखिर वह कैसी महिला है जिसे इस बात की चिंता ही नहीं है कि लोग क्या कहेंगे । खैर , एक दिन पता चला कि वह ठीक सामने वाले फ्लैट में ही रहती है । मेरी पत्नी ने बताया कि वह दिनभर पूजा - अर्चना में लगी रहती है । कभी ज़ोर - जोर से मंत्रोच्चार करती है तो कभी भजन गाने लगती है । उत्सुकतावश मैंने अपनी बॉलकनी से उन लोगों को देखा । मेरे सामने पति - पत्नी और दो बच्चों का एक खुशहाल परिवार था । अगले दिन मेरी छुट्टी थी । उस दिन एक विचित्र बात हुई । उस महिला ने प्रार्थना...

अपठित गद्यांश class 9 cbse board hindi

एक बार काशी के राजा सुशर्मा से उनके दरबार में एक व्यक्ति ने प्रश्न किया , " राजन् , मनुष्य के जीवन में भक्ति का महत्व अधिक है या सेवा का ? " काशी नरेश असमंजस में पड़ गए । उन्होंने उसका कोई जवाब नहीं दिया लेकिन वह इस पर लगातार सोचते रहे । कुछ समय बाद राजा शिकार के लिए जंगल में अकेले गए । घने जंगल में वे रास्ता भटक गए । शाम हो गई । उन्हें न तो शिकार मिला और न ही जंगल से निकलने का रास्ता सूझा । प्यास से उनका बुरा हाल हो गया था । काफ़ी देर भटकने के बाद उन्हें एक कुटिया दिखाई पड़ी । वह किसी संत की कुटिया थी । राजा किसी तरह कुटिया में गए और ' पानी - पानी ' चिल्लाते हुए मूच्छित हो गए । कुटिया में । संत समाधि में लीन थे । वह अपना आसन छोड़ राजा के पास गए और उन्हें पानी पिलाया । पानी पीकर राजा की चेतना लौट आई । राजा को जब मालूम हुआ कि संत समाधिस्थ थे तो उन्होंने कहा , " मुनिवर , मेरी वजह से आपके ध्यान में खलल पड़ा । मैं दोषी हूँ । मुझे प्रायश्चित्त करना होगा । " । संत ने कहा , “ राजन् , आप दोषी नहीं हैं इसलिए प्रायश्चित्त करने का प्रश्न ही नहीं है । प्यासा पानी माँगत...

Improvement in food resources class 9 Short Answer Questions by princenishad7867@gmail.com

Q.1 Can increase grain production alone solve the problem of malnutrition and hunger? And. No, increase grain production only for storage in Warehouse cannot solve the problem of malnutrition and hunger. Food security depends both on availability of food and access to it. As the majority of our population depends on agriculture for their livelihood, increase the income of people working in agriculture thus becames necessary to combat the problem of hunger. Q.2 Define the term hybridisation and Photoperiod?  Ans. Hybridisation:- It refers to crossing between genetically dissimilar organisms. Photoperiod:- The duration of sunlight available to the plant is called as Photoperiod. It affects the growth , flowering and maturation of crops. Q.3 In agriculture practices, higher input gives higher yield. Discuss how?  Ans. Higher input means good financial condition of the farmers so that they can employ good and improved farming technologies. Thus these would give hi...

जब मैं चांद को देखता हूं तो मन करता है कि चन्द्रयान 3 लॉन्च कर दूं और जब अपने आप को देखता हूं तो मन करता है कि 5g लॉन्च कर दूं !

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