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दीपावली के अवसर पर मित्र को शुभकामना देते हुए 30-40 शब्दों में संदेश लिखिए।

संदेश 13 नवंबर 2020 रात्रि 10 बजे प्रिय मित्र! कल प्रकाश पर्व दीपावली का पावन त्योहार है। झिलमिल दीपों की रोशनी से प्रकाशित ये दिवाली आपके परिवार में सुख समृद्धि एवं आरोग्यता लेकर आए। आप पर सदैव लक्ष्मी-गणेश की कृपा बनी रहें। इस पावन पर्व पर मेरे परिवार की ओर से आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ। निषाद परिवार

प्रधानाचार्य जी द्वारा कोविड-19 माहामारी के कारण विद्यालय बंद रहने हेतु 30-40 शब्दों में संदेश लिखिए।

संदेश 5 अक्टूबर 2020 प्रातः 6 बजे प्रिय छात्रों कोविड-19 महामारी के कारण, शिक्षा निदेशालय के आदेश क्रमांक 125 दिनांक 05/10/2020 के अनुसार विद्यालय दिनांक 31/10/2020 तक बंद रहेंगे। आप सभी अपने घरों में स्वस्थ और सुरक्षित रहें। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी सभी सावधानियों व नियमों का पालन करें। आप सभी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ। प्रधानाचार्य रामेश्वरम विद्यालय

अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा मांगते हुए पिताजी को पत्र लिखिए।

विजय नगर, नई दिल्ली १६ मार्च २०१९ आदरणीय पिताजी सादर चरण-कमल स्पर्श आशा है आप सकुशल होंगे ? आप पिछले माह मुझसे मिलने भी नहीं आए | आज मैं आपसे कुछ बताना चाहता हूँ कि मुझसे अनजाने में एक गलती हो गयी है। वह यह है कि आपने जो घड़ी मुझे पुरस्कार में दी थी वह कहीं खो गई है। मैंने उसे बहुत ढूंढा लेकिन यह नहीं मिली। मुझे पता है कि वह बहुत कीमती थी और उसे आपने बड़े चाव से मेरे लिए खरीदा था। में अत्यन्त शर्मिन्दा होकर यह क्षमा याचना पत्र लिख रहा हूँ। मुझसे अनजाने में यह भूल हुई जिसके कारण अत्यन्त लज्जित हूँ। इस गलती के कारण मैं आपके सामने भी नहीं आ पा रहा हूँ। अतः विनम्र प्रार्थना है कि अनजाने में हुई गलती के लिए मुझे क्षमा दान दें। मैं आपका आभारी रहूँगा। शेष कुशल है। माताजी को सादर चरण स्पर्श तथा छोटे भाई-बहिनों को हार्दिक स्नेह स्वीकार हो। आपका आज्ञाकारी पुत्र विनोद सिंह

आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है? इसे रोकने के लिए आप क्या क्या कर सकते हैं? जीवन मूल्यों की दृष्टि से लिखिए।

आज की पीढ़ी प्रकृति के साथ निरंतर छेड़छाड़ कर रही है। उसका हस्तक्षेप प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ रहा है। प्रकृति माँ के समान हमारा पालन-पोषण करती है। उसी प्रकृति से हम अधिक-से-अधिक पाना चाहते हैं इसलिए हम उसका अधिकाधिक दोहन कर रहे हैं। आज की पीढ़ी अधिक-से-अधिक पेड़ों को काटकर वनों का सफाया कर रही है जिसके कारण जंगली जीवों का जीवन संकट में पड़ गया है। शहर कंक्रीट के जंगल में तबदील होते जा रहे हैं। सभी स्वार्थी बन धरती का एक-एक कोना छीनने में लगे हैं। वैज्ञानिक उपकरणों से अनेक दूषित हवाएँ वायु को प्रदूषित कर धरती का तापमान बढ़ा रही है। इससे मौसम चक्र बिगड़ गया है। इसे शीघ्रता से रोकना होगा अन्यथा धीरे-धीरे मानव का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। नई पीढ़ी को प्रकृति की तरफ मुड़ना होगा, वनों व जंगली जीवों को संरक्षण प्रदान करना होगा। पूर्ण रूप से प्राकृतिक जीवन जीना होगा। विज्ञान का उचित और विवेकपूर्ण प्रयोग करना होगा। प्रकृति से अधिक पाने की लालसा छोड़नी होगी तभी प्रकृति माँ बनकर हमारा पालन-पोषण करेगी अन्यथा मानव ही नहीं, समस्त प्राणियों का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा और वह दिन दूर नहीं जब धरती पर जीव...

बचपन में लेखक को अपने अध्यापक से खरी-खरी क्यों सुननी पड़ी? माता का अँचल पाठ के आधार पर बताइए।

बचपन में लेखक को अध्यापक से खरी-खरी इसलिए सुननी पड़ी क्योंकि उन्होंने अपने साथी बैजू और अन्य मित्रों के साथ मिलकर गाँव के वृद्ध व्यक्ति मूसन तिवारी को चिढ़ाया था। इन सबमें बैजू अत्यंत ढीठ था। उसने मस्ती करते हुए मूसन तिवारी को 'बुढ़वा बेईमान माँगे करैला का चोखा' कहकर चिढ़ाया। उसकी देखादेखी अन्य बच्चों ने उस पंक्ति को दुहराना शुरू कर दिया। परिणाम यह हुआ कि मूसन तिवारी अपमान का बदला लेने के लिए उनके स्कूल में पहुंच गए और बच्चों को खूब डॉट लगवाई।

अट नहीं रही है कविता में फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?

फागुन में सर्वत्र मादकता सुन्दरता छाई रहती है। प्राकृतिक शोभा अपने पूर्ण यौवन पर होती है। पेड़-पौधे नए पत्तों, फल फूलों से लद जाते हैं, हवा सुगन्धित हो उठती है। आकाश साफ-स्वच्छ होता है। पक्षियों के समूह आकाश में विहार करते दिखाई देते हैं। बाग-बगीचों और पक्षियों में उल्लास भर जाता है। प्रकृति ईश्वरीय शोभा को ले कर प्रकट हो जाती है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है। यह महीना तो अपार सुखदायी बन कर सबके मन को मोह लेता है।

कन्यादान कविता में बेटी को अन्तिम पूँजी क्यों कहा गया है?

'कन्यादान' कविता में बेटी को अंतिम पूंजी इसलिए कहा गया है कि वह माता-पिता की लाड़ली होती है। उसके ससुराल जाने के बाद माँ बिलकुल खाली हो जाएगी। बेटी पर उसका सारा ध्यान केन्द्रित है। यह उसके जीवन की संचित पूँजी है। जब वह कन्यादान कर देगी तो उसके पास कुछ न बचेगा। माँ अपनी बेटी के सबसे निकट और सुख-दुख की सहयोगिनी होती है। इसी से माँ उसे अपनी अंतिम पूँजी मानकर अत्यंत भावुक हो जाती है।