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किसी विशेष टी.वी. चैनल द्वारा अंधविश्वासों को प्रोत्साहित करने वाले अवैज्ञानिक और तर्कहीन कार्यक्रम प्रायः दिखाए जाने पर अपने विचार व्यक्त करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।

सीताघाट, पिंडोरिया उत्तर प्रदेश दिनांक: 08/08/2010 सेवा में, मुख्य सम्पादक, हिन्दुस्तान टाइम्स, बहादुरशाह जफर मार्ग, नई दिल्ली विषय: टी.वी चैनल द्वारा अंधविश्वासों को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाने हेतु पत्र । महोदय, मैं भारतीय हूँ और दिल्ली का निवासी हूँ। मैं आपका ध्यान टी वी चैनलों पर दिखाए जाने वाले आपत्तिजनक कार्यक्रमों पर आकर्षित करवाना चाहता हूँ जो मुझे तर्कहीन और आधाररहित लगते हैं। कुछ कार्यक्रम ऐसे हैं जिनमें अंधविश्वासों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से आप हजारों-लाखों लोगों को अंधविश्वास के प्रति प्रोत्साहित कर रहे है। इस प्रकार के कार्यक्रमों का प्रभाव विशेषकर बच्चे और घरेलू स्थियों पर पड़ता है। कुछ पढ़े लिखे लोग भी इसकी चपेट में आ जाते है। कभी-कभी लोग अपनी समस्या के निवारण के लिए ढोंगी बाबा पर विश्वास कर गलत काम करने को भी तैयार हो जाते हैं। इससे समाज में हिंसा बढ़ सकती है। इस प्रकार की मानसिक्का के साथ समाज का कल्याण नहीं हो सकता है। अतः आपसे निवेदन है कि इस प्रकार का टी. वी. प्रसारण रोकने हेतु उचित लेख लिख कर समाज को जागरूक करें। सर...

लोकतंत्र और चुनाव विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए।

तात्पर्य' जनता के तंत्र' यानी जनता के शासन से है। लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है, जिसमें अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से जनता शासन करती है। जब जनता अप्रत्यक्ष रूप से शासन करती है, तो वह चुनाव के माध्यम से अपना प्रतिनिधि चुनती है, जो जनता के नाम पर जनता के लिए शासन करता है। एक निश्चित अंतराल पर चुनाव का निरंतर संपन्न होना आवश्यक है ताकि जनता अपने प्रतिनिधि के कार्यों का समय-समय पर मूल्यांकन कर सके। चूंकि जनता के प्रतिनिधि ही सामान्यतया शासन करते हैं। अतः उन्हें निरंकुश बनने से रोकने के लिए समय-समय पर चुनाव होने आवश्यक है। जनता सही प्रतिनिधि का चुनाव करके लोकतंत्र का निर्माण एवं रक्षा करती है। लोकतंत्र में वास्तविक संप्रभुता लोगों यानी जनता के पास ही होती है। अतः जनसामान्य के लिए आवश्यक है कि वह निष्पक्ष होकर लोकतंत्र की। कसौटी पर खरा उतरने वाले लोगों का ही अपने प्रतिनिधि के रूप में चयन करें, जो न केवल बेहतर शासन-प्रबंध करने में सक्षम हों, बल्कि लोकतंत्र को सुदृढ़ करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान भी दें, क्योंकि सही प्रतिनिधि के चुनाव से ही लोकतंत्र की रक्षा संभव है।

विज्ञापन की बढ़ती हुई लोकप्रियता विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए।

आज के युग को विज्ञापनों का युग कहा जा सकता है। आज सभी जगह विज्ञापन-ही-विज्ञापन नज़र आते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ एवं उत्पादक अपने उत्पाद एवं सेवा से संबंधित लुभावने विज्ञापन देकर उसे लोकप्रिय बनाने का हर संभव प्रयास करते हैं। किसी नए उत्पाद के विषय में जानकारी देने, उसकी विशेषता एवं प्राप्ति स्थान आदि बताने के लिए विज्ञापन की आवश्यकता पड़ती है। विज्ञापनों के द्वारा किसी भी सूचना तथा उत्पाद की जानकारी, पूर्व में प्रचलित किसी उत्पाद में आने वाले बदलाव आदि की जानकारी सामान्य जनता को दी जा सकती है। विज्ञापन का उद्देश्य जनता को किसी भी उत्पाद एवं सेवा की सही सूचना देना है, लेकिन आज विज्ञापनों में अपने उत्पाद को सर्वोत्तम तथा दूसरों के उत्पादों को निकृष्ट कोटि को बताया जाता है। आजकल के विज्ञापन भ्रामक होते हैं तथा मनुष्य को अनावश्यक खरीदारी करने के लिए प्रेरित करते हैं। अतः विज्ञापनों का यह दायित्व बनता है कि ये ग्राहकों को लुभावने दृश्य दिखाकर गुमराह नहीं करें, बल्कि अपने उत्पाद के सही गुणों से परिचित कराएँ। तभी उचित सामान ग्राहकों तक पहुँचेगा और विज्ञापन अपने लक्ष्य में सफल होगा।

बढ़ते उद्योग कटते वन विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 80 से 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

भूमिका:- ईश्वरीय सृष्टि की अद्भुत, अलौकिक रचना प्रकृति है। मनुष्य ने प्रकृति की गोद में आँखे खोली हैं एवं प्रकृति ने ही मनुष्य का पालन-पोषण किया है, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। उद्योगों के बढ़ने से वनों की कटाई बढ़ती जा रही है। वृक्षों से लाभ:- मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन पेड़-पौधों पर आश्रित रहता है। पेड़-पौधों की लकड़ी विभिन्न रूपों में मनुष्य के काम आती है। वृक्षों से हमें फल-फूल, जड़ी-बूटियाँ आदि प्राप्त होती है। शुद्ध वायु एवं तपती दोपहर में छाया वृक्षों से ही प्राप्त होती है। वृक्ष वर्षा में सहायक होते हैं एवं भूमि को उर्वरक बनाते हैं। वृक्षों की कटाई और उसके दुष्परिणाम:- जनसंख्या के दबाव, शहरों का विस्तार, फैक्ट्रयों के लिए भूमि की कमी को दूर करने के लिए वृक्षों की व्यापक पैमाने पर कटाई मनुष्य के द्वारा की जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषण का बढ़ना एवं प्राकृतिक आपदाओं से विनाश का खतरा बढ़ता जा रहा है। वृक्षारोपण:- देर से सही मनुष्य ने वृक्षों के महत्व को स्वीकारा तो है। वन विभाग द्वारा नये वृक्षों का रोपण किया जा रहा है एवं पुराने वृक्षों का संरक्षण किया जा रहा है। लोगो...

मूर्तिकार अपने सुझावों को अखबारों तक जाने से क्यों रोकना चाहता था? जॉर्ज पंचम की नाक पाठ के आधार पर बताइए।

वास्तव में मूर्तिकार सही मायने में एक सच्चा कलाकार नहीं बल्कि पैसों का लालची व्यक्ति था। उसमें देश और देशवासियों के प्रति मान-सम्मान व प्रेम की भावना का नितांत अभाव था। वह पैसों के लिए कुछ भी करने को तैयार था। जॉर्ज पंचम की लाट पर नाक लगाने के लिए उसने अपने देश के महान नेताओं की नाक उतार कर यहाँ लगाने का सुझाव दिया। जब यह इस कार्य असफल रहा तब उसने सन् 1942 में शहीद हुए बच्चों की मूर्तियों की नाक उतारने जैसा अत्यंत निकृष्ट सुझाव दिया। जब वह इस कार्य में भी असफल रहा तो अंततः उसने जिंदा नाक काट कर लगाने का सुझाव दिया। वह अपने सुझावों को अखबार वालों तक जाने से इसलिए रोकना चाहता था क्योंकि अगर यह बात जनता तक पहुंच जाती, तो सरकारी तंत्र की नाक तो कटती ही, साथ ही लोग भी मूर्तिकार के विरोध में उठ खड़े होते क्योंकि यह कृत्य भारतीयों के आत्सम्मान को ठेस पहुँचाने वाला था।

माता का अँचल पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है?

इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया ग्रामीण जीवन पर आधारित है। ग्रामीण परिवेश में चारों ओर उगी फसलें, उनके दूधभरे दाने युगती चिडियाँ, बच्चों द्वारा उन्हें पकड़ने का असंभव प्रयास, उन्हें उड़ाना, माता द्वारा बलपूर्वक बच्चे को तेल लगाना, चोटी बांधना, कन्हैया बनाना, साथियों के साथ मस्तीपूर्वक खेलना, आम के बाग में वर्षा में भीगना, बिच्छुओं का निकलना, मूसन तिवारी को चिढाना, चूहे के बिल में पानी डालने की कोशिश के वक्त अचानक से शर्प का निकल आना और बच्चे का भागते हुए पिता की जगह माँ के आँचल में छिप जाना। यह सब हमारे अथवा वर्तमान दौर के किसी भी शिशु के जीवन से बिलकुल भिन्न है। वर्तमान में अधिकांश माँ-बाप नौकरी करते हैं और इसी कारण से उन्हें अपने बच्चों के साथ वक्त बिताने का समय नहीं मिलता। आज छोटी से उम्र के बच्चों को उस उम्र में जब उन्हें अपने माता-पिता के साथ वक्त बिताना चाहिए, अपने नन्हे साथियों के साथ खेलना चाहिए, उन्हें उस उम्र में स्कूल में धकेल दिया जाता है। बच्चे क्रिकेट, वॉलीबॉल, कंप्यूटर गेम, वीडियो गेम, लूडो आदि खेलते हैं। जिस धूल में खेलकर ग्रामीण बच्चे बड़े होते हैं तथा मजबूत बनते हैं। उ...

कवि ने कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा होगा?

निराला क्रांतिकारी कवि है। उन्होंने बादलों को क्रांति का दूत माना है। उसके अनुसार बादलों की गर्जना नवजीवन का प्रतीक हैं। मनुष्य में उत्साह का होना ही उन्नति का प्रतीक है। दुखी और पीड़ित लोगों को क्रांति के लिए जाग्रत करने के उत्साह और जोश की आवश्यकता होती है। बादलों की तेज गड़गड़ाहट से मानो ये जग जाते हैं और परिवर्तन के लिए खुद को तैयार कर लेते हैं। उनमें साहस और शक्ति का संचार करने के कारण कवि ने कविता का शीर्षक उत्साह रखा होगा।