मूर्तिकार अपने सुझावों को अखबारों तक जाने से क्यों रोकना चाहता था? जॉर्ज पंचम की नाक पाठ के आधार पर बताइए।

वास्तव में मूर्तिकार सही मायने में एक सच्चा कलाकार नहीं बल्कि पैसों का लालची व्यक्ति था। उसमें देश और देशवासियों के प्रति मान-सम्मान व प्रेम की भावना का नितांत अभाव था। वह पैसों के लिए कुछ भी करने को तैयार था। जॉर्ज पंचम की लाट पर नाक लगाने के लिए उसने अपने देश के महान नेताओं की नाक उतार कर यहाँ लगाने का सुझाव दिया। जब यह इस कार्य असफल रहा तब उसने सन् 1942 में शहीद हुए बच्चों की मूर्तियों की नाक उतारने जैसा अत्यंत निकृष्ट सुझाव दिया। जब वह इस कार्य में भी असफल रहा तो अंततः उसने जिंदा नाक काट कर लगाने का सुझाव दिया। वह अपने सुझावों को अखबार वालों तक जाने से इसलिए रोकना चाहता था क्योंकि अगर यह बात जनता तक पहुंच जाती, तो सरकारी तंत्र की नाक तो कटती ही, साथ ही लोग भी मूर्तिकार के विरोध में उठ खड़े होते क्योंकि यह कृत्य भारतीयों के आत्सम्मान को ठेस पहुँचाने वाला था।

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