बढ़ते उद्योग कटते वन विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 80 से 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

भूमिका:- ईश्वरीय सृष्टि की अद्भुत, अलौकिक रचना प्रकृति है। मनुष्य ने प्रकृति की गोद में आँखे खोली हैं एवं प्रकृति ने ही मनुष्य का पालन-पोषण किया है, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। उद्योगों के बढ़ने से वनों की कटाई बढ़ती जा रही है।

वृक्षों से लाभ:- मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन पेड़-पौधों पर आश्रित रहता है। पेड़-पौधों की लकड़ी विभिन्न रूपों में मनुष्य के काम आती है। वृक्षों से हमें फल-फूल, जड़ी-बूटियाँ आदि प्राप्त होती है। शुद्ध वायु एवं तपती दोपहर में छाया वृक्षों से ही प्राप्त होती है। वृक्ष वर्षा में सहायक होते हैं एवं भूमि को उर्वरक बनाते हैं।

वृक्षों की कटाई और उसके दुष्परिणाम:- जनसंख्या के दबाव, शहरों का विस्तार, फैक्ट्रयों के लिए भूमि की कमी को दूर करने के लिए वृक्षों की व्यापक पैमाने पर कटाई मनुष्य के द्वारा की जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषण का बढ़ना एवं प्राकृतिक आपदाओं से विनाश का खतरा बढ़ता जा रहा है।

वृक्षारोपण:- देर से सही मनुष्य ने वृक्षों के महत्व को स्वीकारा तो है। वन विभाग द्वारा नये वृक्षों का रोपण किया जा रहा है एवं पुराने वृक्षों का संरक्षण किया जा रहा है। लोगों को जागरूक करने के लिए वन महोत्सव प्रारम्भ किया गया है जो जुलाई मास में मनाया जाता है जिसमें व्यापक रूप से वृक्षारोपण कार्यक्रम जाता है। 

उपसंहार:- आज आवश्यकता इस बात की है कि मनुष्य प्रकृति से जुड़े। यह समझे कि कुल्हाड़ी वृक्षों पर नहीं वरन् उसी पर चल रही है। हमारी संस्कृति में वृक्षों पर देवताओं का वास बताया गया है एवं वृक्ष काटना भयंकर पाप बताया है। वृक्षारोपण करने को महान् पुण्य बताया है।

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