अपठित गद्यांश class 9 cbse board hindi
महानगरीय जीवन में प्राय : ऐसा होता है कि हम लंबे समय तक अपने निकट के पड़ोसियों का चेहरा तक नहीं देख पाते । बस कुछ आवाजें हमें उनसे जोड़ती रहती हैं । कुछ साल पहले की बात है । जब मैं एक बार एक सोसायटी में किराए पर रहने गया , तो सुबह - शाम एक स्त्री के पूजा करने और भजन गाने की तेज़ आवाज सुनाई पड़ती थी । ऐसा लगता था कि वह महिला इस बात से बेपरवाह है कि उसकी आवाज आसपास भी पहुँच । रही है और लोगों की दिनचर्या में व्यवधान डाल रही है । समझ में नहीं आता था कि आवाज़ किस फ्लैट से आती है । शुरू - शुरू में तो उसके बेसुरे भजन पर हँसी और गुस्सा भी आया कि आखिर वह कैसी महिला है जिसे इस बात की चिंता ही नहीं है कि लोग क्या कहेंगे । खैर , एक दिन पता चला कि वह ठीक सामने वाले फ्लैट में ही रहती है । मेरी पत्नी ने बताया कि वह दिनभर पूजा - अर्चना में लगी रहती है । कभी ज़ोर - जोर से मंत्रोच्चार करती है तो कभी भजन गाने लगती है । उत्सुकतावश मैंने अपनी बॉलकनी से उन लोगों को देखा । मेरे सामने पति - पत्नी और दो बच्चों का एक खुशहाल परिवार था । अगले दिन मेरी छुट्टी थी । उस दिन एक विचित्र बात हुई । उस महिला ने प्रार्थना...