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Showing posts from September, 2022

विप्लव रव से छोटे ही है शोभा पाते पंक्ति में विप्लव से क्या तात्पर्य है? छोटे ही है शोभा पाते ऐसा क्यों कहा गया है?

उत्तर. विप्लव रव से कवि का तात्पर्य क्रांति से है।  क्रांति गरीब लोगों या आम जनता में जोश भर देती है। गरीब और आम जनता ही शोषण का शिकार होती है। समाज में क्रांति इन्हीं से आरंभ होती है, इसीलिए यही क्रांति के जनक होते हैं। क्रांति का आगाज होते ही ये नए और सुनहरे भविष्य के सपने संजोने लगते हैं, जिसकी चमक इनके चेहरे पर स्पष्ट दृष्टिगोचर होना। इसीलिए छोटे ही क्रांति (विप्लव रव) के समय शोभा पाते हैं।

रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है?

प्रश्न.  रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है? उत्तर.  रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचनाकर्म की इन विशेषताओं की ओर इंगित किया है : • रचना कर्म का अक्षयपात्र कभी खाली नहीं होता।  • रचना कर्म अविनाशी और कालजयी। • कवि की रचनाएँ हमेशा अमर रहती है। पाठकों को अच्छा संदेश और जीवन में सही मार्ग दिखाती हैं।  • बार-बार पढ़े जाने पर भी कविता का रस समाप्त ना होना। •इन्हीं विशेषताओं के कारण रचना कर्म को रस का अक्षयपात्र कहना।

आत्मपरिचय कविता में कवि ने अपने जीवन में किन परस्पर विरोधी बातों का सामंजस्य बिठाने की बात की है?

प्रश्न.  आत्मपरिचय कविता में कवि ने अपने जीवन में किन परस्पर विरोधी बातों का सामंजस्य बिठाने की बात की है? उत्तर.  आत्मपरिचय कविता में कवि ने अपने जीवन में इन परस्पर विरोधी बातों का सामंजस्य बिठाने की बात की है : • कवि का सांसारिक कठिनाइयों से जूझने पर भी इस जीवन से प्यार करना। • संसार और विपरीत परिस्थितियों की परवाह ना करना • उसे संसार का अपूर्ण लगना • अपने सपनों का अलग ही संसार लिए फिरना

फीचर क्या है? फीचर को परिभाषित करते हुए अच्छे फीचर को किन्ही तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

प्रश्न.  फीचर क्या है? फीचर को परिभाषित करते हुए अच्छे फीचर को किन्ही तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। उत्तर. फीचर एक सुव्यवस्थित सृजनात्मक और आत्मिक लेखन है जिसका उद्देश्य पाठकों को सूचना देने, शिक्षित करने के साथ-साथ मुख्य रूप से उनका मनोरंजन करना होता है। फीचर समाचार की तरह पाठकों को तात्कालिक घटनाक्रम से अवगत नहीं कराता। समाचारों से विपरीत फीचर में लेखक के पास अपनी राय या दृष्टिकोण और भावनाएँ जाहिर करने का अवसर होता है। फीचर लेखन कथात्मक शैली में किया जाता है।

बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग के अंतर को स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न. बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग के अंतर को स्पष्ट कीजिए। उत्तर. बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग के अंतर : बीट रिपोर्टर को संवाददाता और विशेषीकृत रिपोर्टर को विशेष संवाददाता कहते हैं। बीट रिपोर्टर को अपने क्षेत्र की जानकारी और उसमें दिलचस्पी होना ही पर्याप्त है। उसे केवल सामान्य खबरें ही लिखनी पड़ती हैं जबकि विशेषीकृत रिपोर्टर को अपने विषय क्षेत्र की घटनाओं, मुद्दों व समस्याओं का बारीक - विश्लेषण करके उसका अर्थ भी स्पष्ट करना होता है। बीट की रिपोर्टिंग के लिए संवाददाता में उस क्षेत्र के बारे में जानकारी और दिलचस्पी का होना पर्याप्त है लेकिन विशेषीकृत रिपोर्टिंग में सामान्य खबरों से आगे बढ़कर उस विशेष क्षेत्र या विषय से जुड़ी घटनाओं मुद्दों और समस्याओं का बारीकी से विश्लेषण करना आवश्यक है। बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग से संबंधित उदाहरण भी दिए जा सकते हैं।

समाचार लेखन की एक विशेष शैली होती है इस शैली का नाम बताते हुए समाचार लेखन की इस शैली को स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न.  समाचार लेखन की एक विशेष शैली होती है इस शैली का नाम बताते हुए समाचार लेखन की इस शैली को स्पष्ट कीजिए। उत्तर. समाचार लेखन की एक विशेष  शैली  का नाम उलटा पिरामिड शैली है, जिसमें क्लाइमेक्स बिल्कुल आखिर में आता है। इसे उल्टा पिरामिड इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य या सूचना सबसे पहले दी जाती है और तत्पश्चात उससे कम महत्त्वपूर्ण और फिर सबसे कम महत्त्वपूर्ण समाचार लिए जाते हैं। इसमें इंट्रो, बॉडी और समापन समाचार प्रस्तुति के तीन चरण होते हैं।

रटंत या कुटेव को बुरी लत क्यों कहा गया है नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन द्वारा इस लत से कैसे बचा जा सकता है?

उत्तर. रटंत का अर्थ है दूसरों के द्वारा तैयार सामग्री को याद करके ज्यों का त्यों प्रस्तुत कर देने की आदत।  लत कहे जाने के कारण : • असली अभ्यास का मौका ना मिलना   • भावों की मौलिकता समाप्त हो जाना  • चिंतन-शक्ति क्षीण होना  • सोचने की क्षमता में कमी होना • दूसरों के लिखे पर आश्रित होना अप्रत्याशित विषयों पर लेखन द्वारा इस लत से बचा जा सकता है क्योंकि इससे अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित होती है। नए विषयों पर विचार अभिव्यक्ति से मानसिक और आत्मिक विकास होता है।

रेडियो श्रव्य माध्यम है। यह ध्वनि के माध्यम से ही संप्रेषण करता है। इसलिए नाटक में ध्वनि संकेतों का विशिष्ट महत्व है। रेडियो नाटक में ध्वनि संकेतों की महत्ता स्पष्ट करते हुए कोई तीन बिंदु अवश्य लिखिए।

प्रश्न. रेडियो श्रव्य माध्यम है। यह ध्वनि के माध्यम से ही संप्रेषण करता है। इसलिए नाटक में ध्वनि संकेतों का विशिष्ट महत्व है। रेडियो नाटक में ध्वनि संकेतों की महत्ता स्पष्ट करते हुए कोई तीन बिंदु अवश्य लिखिए। उत्तर. रेडियो नाटक में ध्वनि संकेतों की महत्ता : • मंच नाटक लेखन, फ़िल्म की पटकथा और रेडियो नाटक लेखन में काफी समानता • रेडियो में ध्वनि प्रभावों व संवादों के ज़रिये ही दृश्य का माहौल पैदा किया जाना • इसलिए संवाद व ध्वनि सबसे महत्वपूर्ण होना • दृश्य की जगह कट / हिस्सा लिखा जाना • दृश्यों को ध्वनि संकेतों से दिखाया जाना

कहानीकार द्वारा कहानी के प्रसंगों या पात्रों के मानसिक द्वंद्रों के विवरण के दृश्यों की नाटकीय प्रस्तुति में काफी समस्या आती है। इस कथन के संदर्भ में नाट्य रूपांतरण की किन्हीं तीन चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।

प्रश्न. कहानीकार द्वारा कहानी के प्रसंगों या पात्रों के मानसिक द्वंद्रों के विवरण के दृश्यों की नाटकीय प्रस्तुति में काफी समस्या आती है। इस कथन के संदर्भ में नाट्य रूपांतरण की किन्हीं तीन चुनौतियों का उल्लेख कीजिए। उत्तर.  नाट्य रूपांतरण की चुनौतियां • पात्रों के मनोभावों की • मानसिक द्वंद्व के दृश्यों की • पात्रों की सोच के प्रस्तुतीकरण की उदाहरण के लिए ईदगाह कहानी का वह हिस्सा जहाँ हामिद इस द्वंद में है कि क्या खरीदे, क्या ना खरीदे