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कोरोना जैसी महामारी से बचाव हेतु प्रधानमंत्री द्वारा सम्पूर्ण लाकडाउन लागू करने हेतु 30-40 शब्दों में संदेश लिखिए।

संदेश 22 मार्च 2020 रात्रि 8:00 बजे मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, आज रात 12 बजे से कोरोना महामारी से बचाय हेतु पूरे देश में सम्पूर्ण लॉकडाउन लागू होने जा रहा है। सम्पूर्ण लॉकडाउन के दौरान जरूरी सेवाएं जारी रहेगी। 21 दिन का लॉकडाउन लंबा समय है, लेकिन आपके और आपके परिवार की रक्षा के लिए, उतना ही महत्त्वपूर्ण है। लॉकडाउन का पालन करें सुरक्षित रहें। नरेंद्र मोदी

नववर्ष की शुभकामना देते हुए 30-40 शब्दों में एक संदेश लिखिए।

संदेश दिनांक: 31 दिसंबर, 2021 समय: रात्रि 11:59 बजे प्रिय सौरभ नव वर्ष की पावन बेला में मेरी यही शुभकामनाएँ है कि प्रत्येक दिन आपके जीवन में एक शुभ संदेश लेकर आए। आपको व आपके परिवार को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ। आपका परम मित्र प्रिंस निषाद

संचार माध्यम से आप क्या समझते हैं?

प्रश्न. संचार माध्यम से आप क्या समझते हैं? उत्तर-‘संचार' स्वयं में एक प्रक्रिया है-एक जगह से दूसरी जगह पहुँचने की प्रक्रिया। यह प्रक्रिया प्रायः किसी प्राकृतिक माध्यम के सहारे गति करती है। उदाहरणतया हम बोलते हैं तो ध्वनि तरंगों और वायु-तरंगों के सहारे में हमारी बात पहुँचतों है। इसी प्रकार प्रकाश तरंगे हमारे स्पर्श-संवेदन, इशारे आदि भी संचार में माध्यम बनते हैं। परंतु हम इन मूल कारकों को संचार माध्यम नहीं कहते। संचार माध्यमों से आशय है-वे उपकरण या साधन जो हमारे संदेश को पहुँचाते हैं। जैसे- समाचार-पत्र, फिल्म, टेलीफोन, रेडियो, दूरदर्शन, इंटरनेट आदि।

सामाजिक सेवा कार्यक्रम के अन्तर्गत किसी ग्राम में सफाई अभियान के अनुभवों का उल्लेख करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।

नेशनल पब्लिक स्कूल लवकुश नगर, जोधपुर  दिनांक: 26 नवम्बर, 2021 प्रिय मित्र मोहित नमस्कार काफी दिनों से तुम्हारा कुशल समाचार प्राप्त नहीं हुआ। घर में सब कैसे हैं। मैंने नेशनल पब्लिक स्कूल जयपुर में 11वीं कक्षा में प्रवेश ले लिया है तथा मुझे हॉस्टल भी मिल गया है। अभी पिछले सप्ताह पास के एक गाँव में हमारे विद्यालय के 50 छात्रों का राष्ट्रीय सेवा योजना के अन्तर्गत कैम्प लगा था। जिसमें मुझे भी सम्मिलित होने का अवसर मिला। हमारा मूल उद्देश्य गाँव में सफाई अभियान चलाना था। जिसके अंतर्गत हमे गाँव वालों को जागरूक करने के साथ उन्हें सफाई के महत्व से भी अवगत कराना था। हमारे प्रभारी अध्यापक पाण्डेय जी के नेतृत्व में 10-10 छात्रों की टोली बनाई गई और सारे गाँव को पाँच भाग में बाँटकर हमने सफाई प्रारम्भ की विश्वास करें कि थोड़ी ही देर में हमारी टोलियों में स्थानीय नवयुवकों भी अच्छी खासी तादाद श्रमदान हेतु सम्मिलित हो गई और सात दिनों के इस शिविर के उपरान्त गाँव पूरी तरह साफ-सुथरा हो गया। उन नवयुवकों में से कई हमारे बहुत अच्छे मित्र बन गए। दिन भर कार्य करने के बाद हम सब अपने शिविरों के सामने इकठ्ठा हो...

नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए।

नाक मान-सम्मान एवं प्रतिष्ठा का सदा से ही प्रतीक रही हैं। इसी नाक को विषय बनाकर लेखक ने देश की सरकारी व्यवस्था, मंत्रियों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों की गुलाम मानसिकता पर करारा प्रहार किया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के संघर्ष में अंग्रेजों की करारी हार को उनकी नाक कटने का प्रतीक माना, तथापि स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भी भारत में स्थान स्थान पर अंग्रेजी शासकों की मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो स्वतंत्र भारत में हमारी गुलाम या परतंत्र मानसिकता को दिखाती हैं। हिंदुस्तान में जगह- जगह ऐसी ही नाके खड़ी इन नाकों तह यहाँ के लोगों के हाथ पहुँच गए थे, तभी तो जार्ज पंचम की नाक गायब हो गयी थी। जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक एकाएक गायब होने की खबर ने सरकारी महकमों की रातों की नींद उड़ा दी सरकारी महकमें रानी एलिजाबेथ के आगमन से पूर्व किसी भी तरह जार्ज पंचम की नाक लगवाने का हर संभव प्रयास करते हैं। इसी प्रयास में वह देश के महान देशभक्तों एवं शहीदों की नाक तक को उतार लाने का आदेश दे देते हैं किन्तु उन सभी की नाक जार्ज पंचम की नाक से बड़ी निकली, यहाँ तक कि बिहार में शहीद बच्चों तक की नाक जार्ज पंचम से बड़ी नि...

भोलानाथ बचपन में कैसे-कैसे नाटक खेला करता था? इससे उसका कैसा व्यक्तित्व उभरकर आता है ?

भोलानाथ बचपन में तरह-तरह के नाटक खेला करते थे। चबूतरे का एक कोने को ही नाटकघर बना लिया जाता था। बाबूजी जिस छोटी चौकी पर बैठकर नहाते थे, उसे रंगमंच के रूप में काम में लिया जाता था। सरकंडे के खम्भों पर कागज का चंदोआ उस रंगमंच पर तान दिया जाता था। वहीं पर मिठाइयों की दुकान लगाई जाती इस दुकान में चिलम के खोचे पर कपड़े के थालों में ढले के लड्डू, पत्तों की पूरी कचौरिया, गीली मिट्टी की जलेबियाँ, फूटे घड़े के टुकड़ों के बताशे आदि मिठाइयाँ सजाई जातीं। ठीकरों के बटखरे और जस्ते के छोटे टुकड़ों के पैसे बनते। इससे भोलानाथ का यह व्यक्तित्व उभरकर आता है कि वह घर की अनावश्यक वस्तुओं को ही खिलौने बना लेते थे। आज की तरह वे दिखावे से कोसों दूर थे।भोलानाथ बचपन में तरह-तरह के नाटक खेला करते थे। चबूतरे का एक कोने को ही नाटकघर बना लिया जाता था। बाबूजी जिस छोटी चौकी पर बैठकर नहाते थे, उसे रंगमंच के रूप में काम में लिया जाता था। सरकंडे के खम्भों पर कागज का चंदोआ उस रंगमंच पर तान दिया जाता था। वहीं पर मिठाइयों की दुकान लगाई जाती इस दुकान में चिलम के खोचे पर कपड़े के थालों में ढले के लड्डू, पत्तों की पूरी कचौरिया...

शिव धनुष को संसार किस नाम से जानता है?

शिवधनुष को त्रिपुरारिधनु के नाम से जाना जाता है और यह सारे संसार में विश्व विख्यात शिवजी का विनाशक, प्रलयकारी धनुष है जिससे भगवान परशुराम ने इस धरती को शस्त्रों बार क्षत्रिय विहीन किया है। इसे पिनाक के नाम से भी जानते हैं। यह एक विजय धनुष है।