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खाते में से पैसे निष्कासित होने पर बैंक द्वारा ग्राहक को 30-40 शब्दों में संदेश लिखिए।

संदेश 10 अक्टूबर 2020 दोपहर 12:00 बजे प्रिय खाता धारक, आपके खाता संख्या XXXXxxxx115 से 10,000 निष्काषित किए गए हैं। कुल जमा राशि 100,059.45 उपलब्ध है। पंजाब नैशनल बैंक

प्रधानाचार्य जी द्वारा छात्रों को हिंदी दिवस की शुभकामना देते हुए 30-40 शब्दों में संदेश लिखिए।

शुभकामना संदेश 18 मई 2021 8:00 बजे मेरे प्रिय छात्रों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और हमें राष्ट्रभाषा का प्रयोग करने पर गर्व का अनुभव होना चाहिए। अधिक से अधिक हिंदी का प्रयोग करने का प्रयत्न करना चाहिए। प्रधानाचार्य प्रिंस निषाद

अपने विदेशी मित्र को अपने जीवन का लक्ष्य बताते हुए पत्र लिखिए

सीताघाट पिंडोरिया,  अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश 24 मार्च 2021 प्रिय मित्र राकेश, सप्रेम नमस्कार आज यह पत्र मैंने तुम्हें अपने दिल की बात बताने के लिए लिखा है जिसके विषय में मैंने किसी को भी नहीं बताया है। हालांकि तुम्हारा उच्च शिक्षा प्राप्त करने का स्वप्न साकार होने की स्थिति में है। प्रिय मेरे जीवन का एक स्वप्न है जिसे में येन केन प्रकारेण साकार और सार्थक करना चाहता हूँ मैं देखता हूँ कि संसार में धन कमाने के बहुत से व्यवसाय है परन्तु जब में डॉक्टरों के शुभ कार्य को देखता हूँ तो मेरी डॉक्टर बनने की आकांक्षा और तीव्र हो जाती है। डॉक्टर जब रोते हुए किसी बीमार को सान्त्वना देकर परामर्श देकर उसके रोग का इलाज कर उसे नवजीवन प्रदान करता है तब उसके चेहरे पर जो सुकून और खुशी दिखाई देती है उसे देख कर तो मेरी इच्छा होती है कि में भी डॉक्टर बनूँ। अतः एम.बी.बी.एस. में प्रवेश पाने के लिए मैं अध्ययनरत हूँ। सफलता मिलने पर सूचित करूंगा। शुभकामनाओं का अभिलाषी तुम्हारा प्रिय मित्र प्रिंस निषाद

साना-साना हाथ जोड़ी यात्रा वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।

इस यात्रा के दौरान लेखिका ने हिमालय के प्रत्येक रूप को देखा और उसी प्रकार से उसका वर्णन किया है। हिमालय तो पर्वतराज के रूप में विख्यात है। हिमालय का सौंदर्य कभी-कभी अलौकिक अर्थात इस संसार से परे जान पड़ता है। वास्तव में हम हिमालय के जितना नजदीक जाते हैं हम उसे उतने ही अधिक अलौकिक रूप में पाते हैं। हमें हिमालय की गोद में स्वर्ग की अनुभूति होती है। सेवन सिस्टरर्स जलप्रपात तो प्रकृति का जैसे एक अद्भुत चमत्कार है। इस प्रकार से लेखिका ने अपनी यात्रा के दौरान हिमालय के कई रूपों को देखा एवं उन सभी दृश्यों, नजारों का वर्णन अपने यात्रा वृतांत में किया है।

जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?

जॉर्ज पंचम की लाट पर जिस दिन जिंदा नाक लगाई गई उस दिन सभी अखबार चुप थे न किसी समारोह न किसी नेता का भाषण आदि खबरें उस दिन के अखबार में नहीं थी। वास्तव में वे सरकार के इस कृत्य से लज्जित थे जिस जॉर्ज पंचम की तुलना शहीद हुए छोटे बच्चों की नाक से भी न की जा सकी। उस जॉर्ज पंचम की लाट पर अपने सम्मान की नाक कटवा कर जिंदा नाक फिट की गई। जिस के वंशजों ने वर्षों तक हमें गुलाम बनाकर हमारे ऊपर अन्याय और अत्याचार किए, उनके मान-सम्मान के लिए हम अपना मान-सम्मान ही भुला बैठे। मूर्ति की लाट पर जिंदा नाक लगना शर्मिंदगी से परिपूर्ण कृत्य था। यह घटना भारतीयों के आत्मसम्मान पर चोट पहुँचाने वाली थी इसलिए उस दिन सभी अखबार चुप थे।

"जब खाएगा बड़े-बड़े कौर तब पाएगा दुनिया में ठौर" पंक्ति के कथन का संदर्भ लिखकर बताइए कि "माता का आँचल पाठ में वर्णित माता अपने पुत्र को किस भाव से खिलाती थीं और इससे क्या शिक्षा ग्रहण करते हैं?

माता अपने पुत्र को इस भाव से खिलाती थी कि उन्हें लगता था कि मर्द बच्चों को खाना खिलाने का ढंग नहीं जानते। बच्चों का पेट तो माँ के हाथ से खाने पर ही भरता है भोलानाथ का पेट भरा हुआ होने पर भी वह अलग-अलग पक्षियों के नाम लेकर दही-चावल के बड़े-बड़े कौर उसके मुँह में डालकर उसे यह कहती कि जल्दी से खा लो नहीं तो पक्षी उड़ जाएंगे और बच्चा उनके उड़ने से पहले खा लेता। माँ के अनुसार बच्चा बड़े-बड़े कौर खाकर ही दुनिया में अपना एक निश्चित स्थान बना पाएगा। वे अपने पति से कहती है कि आप तो छोटे-छोटे कौर बनाकर बच्चे के मुँह में देते हैं, इससे थोड़ा सा खाकर ही बच्चा सोच लेता है कि उसने बहुत खा लिया और उसका पेट भर गया। माता का मन ममता से परिपूर्ण होता। इससे हम यह शिक्षा ग्रहण करते हैं कि माँ का मन बड़ा ही कोमल और ममता से भरा हुआ होता है। उसका मन तब तक सन्तुष्ट नहीं होता है जब तक कि वह अपने बच्चे को अपने हाथों से न खिला ले। अतः हमें भी अपनी माँ का उसी प्रकार ध्यान रखना चाहिए जिस प्रकार माँ हमारा ध्यान करती है। 

उत्साह कविता में बादल के माध्यम से कवि निराला के जीवन की झलक मिलती है। इस कथन से आप कितने सहमत / असहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

'उत्साह कविता से निराला के जीवन की झलक मिलती है। निराला एक क्रांतिकारी कवि थे। वे समाज के लोगों में नवीन उत्साह जगाना चाहते थे। स्वाभिमानी निराला वज्र तुल्य कठोर थे तो भिक्षुओं, मजदूरों, निर्धनों के प्रति उनके मन में करुणा का सागर भी लहराता था।