जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?

जॉर्ज पंचम की लाट पर जिस दिन जिंदा नाक लगाई गई उस दिन सभी अखबार चुप थे न किसी समारोह न किसी नेता का भाषण आदि खबरें उस दिन के अखबार में नहीं थी। वास्तव में वे सरकार के इस कृत्य से लज्जित थे जिस जॉर्ज पंचम की तुलना शहीद हुए छोटे बच्चों की नाक से भी न की जा सकी। उस जॉर्ज पंचम की लाट पर अपने सम्मान की नाक कटवा कर जिंदा नाक फिट की गई। जिस के वंशजों ने वर्षों तक हमें गुलाम बनाकर हमारे ऊपर अन्याय और अत्याचार किए, उनके मान-सम्मान के लिए हम अपना मान-सम्मान ही भुला बैठे। मूर्ति की लाट पर जिंदा नाक लगना शर्मिंदगी से परिपूर्ण कृत्य था। यह घटना भारतीयों के आत्मसम्मान पर चोट पहुँचाने वाली थी इसलिए उस दिन सभी अखबार चुप थे।

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