प्रकरण - - - - - - - - - बालगोबिन भगत ( रामवृक्ष बेनीपुरी ) आलोक - निम्न गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़ें व पूछे गए प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए इन सबके ऊपर , मैं तो मुग्ध था उनके मधुर गान पर - जो सदा सर्वदा ही सुनने को मिलते । कबीर के वे सीधे - सादे पद , जो उनके कंठ से निकल कर सजीव हो उठते । आषाढ़ की रिमझिम है । समूचा गांव खेतों में उतर पड़ा है । कहीं हल चल रहे हैं ; कहीं रोपनी हो रही है । धान के पानी - भरे खेतोंमें बच्चे उछल रहे हैं । औरतें कलेवा लेकर मेड़ पर बैठी हैं । आसमान बादल से घिरा ; धूप का नाम नहीं । ठंडी पुरवाई चल रही । ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर - तरंग झंकार - सी कर उठी । यह क्या है - यह कौन है । यह पूछना न पड़ेगा । बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े , अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं । उनकी अंगुली एक - एक धान के पौधै को , पंक्तिबद्ध , खेत में बिठा रही हैं । उनका कंठ एक - एक शब्द को संगीत के जीने पर चढ़ा कर कुछ को ऊपर , स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर ! बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं ; मेड़ पर खड़ी औरतों के हों...