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Showing posts from June, 2020

शेर और चूहा की कहानी | sher aur chuha ki kahani hindi mein

एक बार एक सिंह एक वृक्ष की छाया में गहरी नींद में सोया हुआ था । सारे दिन वह शिकार की तलाश में इधर - उधर भटका था । वह बहुत थका हुआ था । एक चूहा अपने बिल से बाहर आया और सिंह के शरीर पर घूमने लगा । सिंह की नींद टूट गई और उसे बड़ा क्रोध आया । उसने चूहे को अपने पंजे से दबाया और कहा , " बताओ तुमने मुझे क्यों जगाया है ? मैं तुम्हें मार डालूँगा । " बेचारा चूहा भय से काँपने लगा । उसने सिंह से कहा , " यदि आप मुझे जीवित छोड़ दें तो शायद मैं कभी आपके काम आ जाऊँ । यदि ईश्वर ने चाहा तो मैं आपकी इस कृपा का ऋण चुका दूँगा । " सिंह इस पर हँसा और उसने चूहे को छोड़ दिया । कुछ समय पश्चात् वह सिंह एक जाल में फँस गया । उसने जाल से बाहर निकलने का बहुत प्रयास किया परन्तु सफल नहीं हो पाया । जब चूहे को उसके बारे में ज्ञात हुआ , वह वहाँ गया । उसने जाल को धीरे - धीरे कुतर डाला और सिंह को मुक्त कर दिया । शिक्षा –................। Comment kare

"Greece was the cradle of European civilisation". Explain the statement.

There is academic consensus that Classical Greece is the seminal culture which provided the foundation is known of modern Western culture, democracy, art, theatre, philosophy and science. For this reason as the cradle of Western Civilization.

mahavir swami in english | short paragraph essay

Mahavir Swami was the 24th and the last supreme God of Jains. He is also known as the real founder of Jainism. He was born in 540 B.C. near Kundagram in Vaishali. His father was Siddhartha and his mother was Trishla. He 540 B.C. near was very kind hearted and lover of truth. His childhood name was Vardhman. When Vardhman became young, his parents married him with a beautiful princess Yashoda. But he was not happy in the palace. He didn't find peace anywhere. He left the palace in search of truth and peace and became a hermit when he was only 30 years old. After the devotion of 12 years he got enlightenment under a Sal tree on the bank of Rijupalika river. Due to victory over sense he is also known as 'Jin' or 'Mahavir'. After getting enlightenment he visited many towns and villages of the country and preached people. He never stayed for more than one day in a village. He was passed away in Pawapuri in 468 B.C.

बचपन का दौर | बचपन की यादें कविता | childhood memories

मैं प्रिंस अपने ब्लॉग में  आपका स्वागत करता हूं । आज मै आपके लिए एक कविता के साथ हाजिर हूं जिसका नाम बचपन का दौर ( बचपन की यादें कविता ) है । बचपन ही केवल एक ऐसा समय होता है जब हमें किसी की चिंता फिक्र नहीं होती है । घर में क्या चल रहा और दुनिया में क्या हो रहा है इससे हमें कोई मतलब नहीं होता है । हम तो केवल अपने में ही मदमस्त हैं । छोटी– छोटी चीजों के लिए मम्मी से जिद करना कि हमेंं केवल यही चाहिए । अपने परिवार से रूठना मनाना यह तो बचपन में कितना अच्छा लगता है । अपने दोस्तों के साथ खेलते कूदतेेे दिन कैसे पार गया पता ही नही चलता है और शाम को भोजन करते ही नींद का आना यही तो जिंदगी थी । अगर हम अपने बचपन की यादों को सोचते है तो कितना अच्छा लगता है मन करता है एक बार और बचपन कि जिंदगी जीने को मिल जाती । बचपन की यादें कविता वो बचपन का दौर जो बीता, जिंदगी का सबसे पल था वो मीठा, कितनी प्यारी लगती थी दादी और नानी, जो हमको सुनाती थी किरसे और कहानी, छोटी – सी खुशियों में हँसना और रो देना घर वाले भी हमसे करते थे दिल्लगी । कहते मीठा फिर खिलाते जो तीखा, वो बचपन का दौर जो बीता, कभी बनना