Posts

मूर्तिकार अपने सुझावों को अखबारों तक जाने से क्यों रोकना चाहता था? जॉर्ज पंचम की नाक पाठ के आधार पर बताइए।

वास्तव में मूर्तिकार सही मायने में एक सच्चा कलाकार नहीं बल्कि पैसों का लालची व्यक्ति था। उसमें देश और देशवासियों के प्रति मान-सम्मान व प्रेम की भावना का नितांत अभाव था। वह पैसों के लिए कुछ भी करने को तैयार था। जॉर्ज पंचम की लाट पर नाक लगाने के लिए उसने अपने देश के महान नेताओं की नाक उतार कर यहाँ लगाने का सुझाव दिया। जब यह इस कार्य असफल रहा तब उसने सन् 1942 में शहीद हुए बच्चों की मूर्तियों की नाक उतारने जैसा अत्यंत निकृष्ट सुझाव दिया। जब वह इस कार्य में भी असफल रहा तो अंततः उसने जिंदा नाक काट कर लगाने का सुझाव दिया। वह अपने सुझावों को अखबार वालों तक जाने से इसलिए रोकना चाहता था क्योंकि अगर यह बात जनता तक पहुंच जाती, तो सरकारी तंत्र की नाक तो कटती ही, साथ ही लोग भी मूर्तिकार के विरोध में उठ खड़े होते क्योंकि यह कृत्य भारतीयों के आत्सम्मान को ठेस पहुँचाने वाला था।

माता का अँचल पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है?

इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया ग्रामीण जीवन पर आधारित है। ग्रामीण परिवेश में चारों ओर उगी फसलें, उनके दूधभरे दाने युगती चिडियाँ, बच्चों द्वारा उन्हें पकड़ने का असंभव प्रयास, उन्हें उड़ाना, माता द्वारा बलपूर्वक बच्चे को तेल लगाना, चोटी बांधना, कन्हैया बनाना, साथियों के साथ मस्तीपूर्वक खेलना, आम के बाग में वर्षा में भीगना, बिच्छुओं का निकलना, मूसन तिवारी को चिढाना, चूहे के बिल में पानी डालने की कोशिश के वक्त अचानक से शर्प का निकल आना और बच्चे का भागते हुए पिता की जगह माँ के आँचल में छिप जाना। यह सब हमारे अथवा वर्तमान दौर के किसी भी शिशु के जीवन से बिलकुल भिन्न है। वर्तमान में अधिकांश माँ-बाप नौकरी करते हैं और इसी कारण से उन्हें अपने बच्चों के साथ वक्त बिताने का समय नहीं मिलता। आज छोटी से उम्र के बच्चों को उस उम्र में जब उन्हें अपने माता-पिता के साथ वक्त बिताना चाहिए, अपने नन्हे साथियों के साथ खेलना चाहिए, उन्हें उस उम्र में स्कूल में धकेल दिया जाता है। बच्चे क्रिकेट, वॉलीबॉल, कंप्यूटर गेम, वीडियो गेम, लूडो आदि खेलते हैं। जिस धूल में खेलकर ग्रामीण बच्चे बड़े होते हैं तथा मजबूत बनते हैं। उ...

कवि ने कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा होगा?

निराला क्रांतिकारी कवि है। उन्होंने बादलों को क्रांति का दूत माना है। उसके अनुसार बादलों की गर्जना नवजीवन का प्रतीक हैं। मनुष्य में उत्साह का होना ही उन्नति का प्रतीक है। दुखी और पीड़ित लोगों को क्रांति के लिए जाग्रत करने के उत्साह और जोश की आवश्यकता होती है। बादलों की तेज गड़गड़ाहट से मानो ये जग जाते हैं और परिवर्तन के लिए खुद को तैयार कर लेते हैं। उनमें साहस और शक्ति का संचार करने के कारण कवि ने कविता का शीर्षक उत्साह रखा होगा।

किन-किन चीजों का रसास्वादन करने के लिये आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं?

फल खाने के लिये उसे धोकर काटना पड़ता है तथा मसाला छिड़कना पड़ता है। सब्जी खाने के लिये उसे साफ करना, धोना, तेल घी में छौंकना तथा पकाना पड़ता है। फल का रस पीना हो तो उसका जूस निकालना पड़ता है, रोटी खानी हो तो आटा पानी के साथ गूंथना पड़ता है, लोई बनाकर बेलना पड़ता है फिर तवे पर आग पर सेकना पड़ता है। इसी प्रकार खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए सलाद बनाकर उस पर स्वादानुसार नमक-मिर्च-नींबू निचोड़ कर उसे स्वादिष्ट बनाया जाता है। रायता और चटनी बनाकर उसे खाने के साथ खाया जाता है।

कोरोना महामारी के दौरान लागू लॉकडाउन का पालन करने हेतु देशवासियों के लिए एक संदेश लिखिए।

24 मार्च 2020 रात्रि 8 बजे प्रिय देशवासियों कोरोना वायरस की महामारी के प्रकोप के चलते बनी आपातकाल की इस स्थिति में मै आप सभी से निवेदन करूँगा कि अपने-अपने घरों में सुरक्षित रहें। सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करें। केवल ज़रूरत के समय में ही घरों से बाहर निकलें आशा है इस मुश्किल समय में आप सभी मेरा साथ देंगे। स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें नरेंद्र मोदी

आपकी मम्मी घर पर नहीं है और आपको बाहर मित्र के घर जाना है। अपनी मम्मी को 30-40 शब्दों में संदेश लिखिए।

12 अक्तूबर 2020 दोपहर 1:00 बजे प्रिय मां, चाची जी का फोन आया था। उनको आपसे कुछ आवश्यक कार्य है आप उन्हें फोन कर लीजिएगा। मैं अपने मित्र के घर पढ़ाई के लिए जा रहा हूँ। मुझे वापस आने में विलंब हो जाएगा। शिवांक

नगर में आयोजित होने वाली भारत की सांस्कृतिक एकता प्रदर्शनी को देखने के लिए लोगों को आमंत्रित करते हुए 25-50) शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।

खुशखबरी! खुशखबरी! खुशखबरी! आपके अपने शहर में भारतीय सांस्कृतिक एकता प्रदर्शनी (एक भारत श्रेष्ठ भारत) भारत के विभिन्न राज्यों, नगरों के हस्त शिल्प, कला, व्यंजन, लोक संगीत, रीति-रिवाज, परिधान एवं जनजीवन का अनूठा संगम। इस प्रदर्शनी में आप सभी आमंत्रित है। स्थान दादा देव मेला ग्राउंड, पालम समय सायः 4 से रात्री 12 बजे तक प्रवेश निःशुल्क