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Showing posts from February, 2022

शिशु का नाम भोलानाथ कैसे पड़ा? माता का अँचल पाठ के आधार पर बताइए।

शिशु का मूल नाम तारकेश्वर नाथ था। उसके पिता शिवभक्त थे। सुबह नहला-धुला कर वे उसे अपने पास पूजा में बिठा लेते समीप बिठाकर वे उसके ललाट पर भभूत लगाकर त्रिपुंडाकार का तिलक लगा देते। लम्बी जटाएं होने के कारण वह खासा यमभोला प्रतीत होता पिताजी शिशु से कहते कि बन गया भोलानाथ। फिर तारकेश्वर नाथ न कहकर धीरे धीरे उसे भोलानाथ कहकर पुकारने लगे और फिर नाम हो गया भोलानाथ।

'लड़की अभी सयानी नहीं थी काव्य-पंक्ति से कवि ऋतुराज का क्या अभिप्राय है?

लड़की को सांसारिक सूझबूझ से काम करने की जानकारी नहीं थी। वह वैवाहिक जीवन की कठिनाइयों से अपरिचित थी। उसे सांसारिक छल-कपट की समझ नहीं है। वह सरल स्वभाव की है। उसे ससुराल किस प्रकार व्यवहार करना है उसकी बिल्कुल भी जानकारी नहीं है यह सिर्फ एक बात जानती है कि वहां पर उसके पति होंगे और उसके सास और ससुर होंगे जो उसको अपने माता पिता की तरह ही रखेंगे।

'परिमल' की गोष्ठियों में फादर की क्या स्थिति थी ? लेखक तथा अन्य प्रतिभागियों के साथ उनके संबंध कैसे थे ?

परिमल में सभी सदस्य एक पारिवारिक रिश्ते में बंधे थे जिसके बड़े फादर बुल्के थे। विनोद, हास-परिहास के साथ वे साहित्यिक गोष्ठियों में बेबाक राय देते तथा सभी परिवारों के संस्कारों में बड़े भाई और पुरोहित की भाँति खड़े रहकर सबको अपने आशीर्वाद से भर देते।