फादर बुल्के की अंतिम यात्रा पर उमड़ती हुई भीड़ और तरल आँखों को देखकर आपके मन में क्या आश्चर्य होता है?
फादर बुल्के की अंतिम यात्रा में दूर दूर से लोग शामिल होने आए। उनकी मृत्यु का दुखद समाचार जिसने भी सुना यह अपने को रोक न सका। शव यात्रा के इस जन सैलाब को देखकर और रोती हुई प्रत्येक आंखों को देखकर लेखक के मुह से निकल पड़ा कि नम आंखों को गिनना स्याही फैलाने जैसा है। उनकी इस शव यात्रा में जैनेंद्र कुमार, विजेंद्र कुमार, अजीत कुमार, डॉ निर्मला जैन, मसीही समुदाय के लोग, पादरी गण, साधुओं द्वारा धारण किए जाने वाले गेरूए वस्त्र पहने इलाहाबाद से प्रसिद्ध विज्ञान शिक्षक डॉक्टर सत्य प्रकाश और डॉक्टर रघुवंश जैसे महान शिक्षाविद शामिल हुए। इस भीड़ को देख कर अनुमान लगाया जा सकता है कि इस व्यक्ति से लोग कितने प्रभावित थे। फादर का अपने प्रियजनों के प्रति प्रेम, स्नेह, ममता और अपनत्व की भावना लोगों को अपनी ओर खींच लाई, जो किसी आश्चर्य से कम न था।