1. प्रयोगवादी कविता शहरी मध्यवर्ग को केंद्र में रख कर लिखी गयी है।
2. अपने व्यक्तिगत सुखों-दुखों और संवेदनाओं को काव्य सत्य मानकर उन्हें नये-नये माध्यमों से व्यक्त करने की कोशिश इस कविता में हुई।
3. इस कविता में एक वर्ग उन कवियों का भी था जो अपने समाजवादी विश्वासों को अपने संस्कारों में ढालकर कविता लिख रहा था, ऐसे कवियों के यहाँ सामाजिक और जीवन मूल्यों से जुड़े प्रगतिशील विचारों का प्राधान्य रहा।
4. इस दौर के कवियों में अधिकांशतः अनास्थामूलक स्वर सुने जा सकते हैं। यह कवि ईश्वर, धर्म, नैतिकता के प्रति गंभीर नहीं दिखता।
5. सूक्ष्म से सूक्ष्म चीजों पर लेखन और अभिव्यक्ति इस कविता में है।
6. प्रयोगवादी कवि क्षण के महत्व को महिमामंडित करते हुए विराट और सनातन का अस्वीकार करता है।
7. प्रयोगवादी कवियों ने शब्दों में नए अर्थ भरने की कोशिश की। भाषा, भाव, प्रतीकों इत्यादि में नवीन प्रयोग इस दौर की उपलब्धि हैं।