युवा पीढ़ी में असंतोष पर निबंध लेखन । Essay writing on dissatisfaction among younger generation

संकेत - बिंदु : 1 . भूमिका 2 . असंतोष का कारण एवं निदान 3 . उपसंहार

भूमिका - वास्तव में दिशाविहीन युवा पीढ़ी को अपने लक्ष्य का बोध शिक्षा कराती है किंतु आज की शिक्षा इस उद्देश्य की पूर्ति में मापदंड के घट जाने से लाचार - सी हो गई है । आज शिक्षा पाकर भी युवा वर्ग बेकारी की भट्टी में झुलस रहा है । वह न अपना ही हित सोच पा रहा है और न राष्ट्र का ही । इस स्थिति में असंतोष उसके हृदय में जड़े जमाता जा रहा है ।

असंतोष का कारण एवं निदान - इस असंतोष का मुख्य कारण आज की समस्याओं का सही समाधान न होना है । आज इस रोग से देश का प्रत्येक विश्वविद्यालय पीड़ित है । आज इस असंतोष के कारण युवा - शक्ति का उपयोग राष्ट्रहित में नहीं हो रहा है । युवा पीढ़ी में असंतोष के कारण निदान सहित इस प्रकार हैं : विद्यार्थी का कार्य अध्ययन के साथ - साथ राष्ट्र - जीवन का निर्माण करना भी है किंतु वह असंतोष में बह जाने से भटक जाता है । देश से प्रेम करना उसका कर्तव्य होना चाहिए । आज हृदयहीन शिक्षकों के कारण युवा - शक्ति उपेक्षा का विषपान कर रही है । आज सरकार की लाल फीताशाही विद्यार्थियों को और अधिक भड़का रही है । शिक्षा का दूसरा दोष उद्देश्य रहित होना है । आज का युवक , शिक्षा तो ग्रहण करता है किंतु वह स्वयं यह नहीं जानता कि उसे शिक्षा पूर्ण करने के बाद क्या करना है । स्वतंत्र व्यवसाय के लिए कोई शिक्षा नहीं दी जाती । आज सरकार को अध्ययन के उपरांत कोई प्रशिक्षण देकर विद्यार्थी को अपने कार्य में लगाना चाहिए ।
आज हृदयहीन शिक्षकों के कारण युवा - शक्ति उपेक्षा का विषपान कर रही है । आज सरकार की लाल फीताशाही विद्यार्थियों को और अधिक भड़का रही है । शिक्षा का दूसरा दोष उद्देश्य रहित होना है । आज का युवक , शिक्षा तो ग्रहण करता है किंतु वह स्वयं यह नहीं जानता कि उसे शिक्षा पूर्ण करने के बाद क्या करना है । स्वतंत्र व्यवसाय के लिए कोई शिक्षा नहीं दी जाती । आज सरकार को अध्ययन के उपरांत कोई प्रशिक्षण देकर विद्यार्थी को अपने कार्य में लगाना चाहिए । आज़ादी के बाद हमारे राष्ट्रीय कर्णधारों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाया । ये नेता भ्रष्ट तरीकों से अनाप - शनाप धन व्यय कर शासन में पहुँचते हैं । फिर स्वयं को जनता का प्रतिनिधि न समझकर राजपुत्र समझते हैं । इस अकड़ को देखकर युवा पीढ़ी में आग भड़क उठती है । अत : नेता को नम्रतापूर्वक छात्रों को समझाकर किसी उत्पन्न समस्या का समाधान करना चाहिए ।
ये दोनों युवा पीढ़ी के लिए वरदान के साथ - साथ अभिशाप भी हैं । जहाँ एक विश्वविद्यालय के विद्यार्थी असंतुष्ट हुए , वहाँ समाचार - पत्रों एवं आकाशवाणी के माध्यम से यह खबर सभी जगह फैल जाती है , जिससे युवा पीढ़ी में आक्रोश भड़क उठता है । सरकार को ऐसे समाचार - पत्रों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए । आज शासन सत्ता के विरोधी दल विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों को भड़काकर अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं ।

उपसंहार - आज युवा पीढ़ी में सांस्कृतिक संस्कारों का अभाव है जिनके कारण वे दूसरों को अपने से अलग समझकर उन पर आक्रोश करते हैं । अत : विश्वविद्यालयों में भी नैतिक शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए । आज के युग में भारत की शिक्षा प्रणाली विश्व में सबसे अधिक विकृत है । इसलिए हमारे राष्ट्र निर्माताओं को यह दृढ़ संकल्प कर लेना चाहिए कि वे विश्वविद्यालयों का सुधार करें ताकि युवा पीढ़ी में असंतोष न बढ़ सके ।

Comments

  1. very nice ....bro....you did a great job.....can you help me some visitors on www.sarkariresultindia.site
    my email id suryanashwin4u@gmail.com.....i can help you with backlink

    ReplyDelete

Post a Comment

popular posts

प्रदूषण : कारण और निवारण पर निबंध लेखन

विज्ञापन की बढ़ती हुई लोकप्रियता विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए।

हालदार साहब कैप्टन को देखकर अवाक् क्यों रह गए ? नेताजी का चश्मा ' पाठ के आधार पर लिखिए ।

नववर्ष की शुभकामना देते हुए 30-40 शब्दों में एक संदेश लिखिए।

'माता का अँचल' पाठ के आधार पर बताइए कि तत्कालीन व वर्तमान समय में बच्चों की खेल-सामग्रियों में क्या परिवर्तन आए हैं? बच्चों के खेलों में हुए परिवर्तनों का उनके मूल्यों पर कितना प्रभाव पड़ा है?

बढ़ते उद्योग कटते वन विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 80 से 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

'निराला' की कविता 'उत्साह ' और 'ऋतुराज' की कविता 'कन्यादान' दोनों में जिस सामाजिक बदलाव की अपेक्षा की गई है उस की प्रासंगिकता पर अपने विचार व्यक्त कीजिए

नगर में आयोजित होने वाली भारत की सांस्कृतिक एकता प्रदर्शनी को देखने के लिए लोगों को आमंत्रित करते हुए 25-50) शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।