हिंदी मजेदार कहानियां बच्चों के लिए | hindi stories for childrens with moral

हिंदी मजेदार कहानियां बच्चों के लिए : मच्छर व मूर्ख पुत्र

बहुत समय पहले की बात है। एक बढ़ई था । वह बहुत मेहनती था। अब वह बूढ़ा और गंजा हो गया था। एक दिन वह बाग में बैठा था। तभी एक मच्छर आया और उसके चमकते गंजे सिर पर आ बैठा।

बढ़ई ने उसे उड़ाना चाहा पर वह बार-बार सिर पर बैठने लगा। वह बढ़ई के सिर पर भिन-भिन कर रहा था । बढ़ई के सिर पर खुजली होने लगी। उसने हाथ मार कर मच्छर को हटाया पर कुछ ही पलों में वह फिर से आ गया।

बढ़ई ने उसे हटा दिया पर मच्छर बड़ा ही अड़ियल था। वह दोबारा उसके सिर पर आ बैठा। बढ़ई उसे उड़ा - उड़ा कर तंग आ गया पर मच्छर हटना ही नहीं चाहता था। उससे परेशान हो कर, बढ़ई ने अपने बेटे को पुकारा, “बेटा! मुझे इस मच्छर से छुटकारा दिलवा! "

बढ़ई का बेटा बहुत आज्ञाकारी परंतु मूर्ख था। उसने मच्छर पर एक डंडे से वार किया। हालांकि मच्छर तो उड़ गया पर बढ़ई बुरी तरह से घायल हो गया।


हिंदी मजेदार कहानियां बच्चों के लिए : किसान और सोना


एक बार, किसी गांव में एक अमीर आदमी ने अपना सोना खेत में गाड़ दिया ताकि उसे चोरों से बचाया जा सके। कई साल बीत गए। वह आदमी मर गया। फिर एक गरीब किसान उस खेत का मालिक बना। वह वहां हल चला रहा था। हल चलाते समय, उसका हल किसी सख्त चीज से टकराया।

पहले तो किसान को लगा कि वह कोई पत्थर होगा पर वह वहां सोने का ढेर देख कर दंग रह गया। उसने तय किया कि वह रात को सोना निकाल कर ले जाएगा क्योंकि दिन के समय उसे कोई ऐसा करते देख सकता था।

रात को किसान ने सोना निकालना चाहा पर वह बहुत भारी था। फिर उसने उसे घसीटना चाहा पर वह टस से मस नहीं हुआ। वह सोना तो ले जाना चाहता था पर उसे कोई तरकीब नहीं सूझ रही थी ।

फिर वह बैठ कर सोचने लगा कि सोने को वहां से कैसे ले जाया जाए? उसने तय किया कि वह उसे चार हिस्सों में बांट देगा। इस तरह वह एक बार में एक हिस्सा ले जा सकता था। उसने ऐसा ही किया और सोने को बड़ी आसानी से घर ले गया। इस तरह वह एक अमीर आदमी बन गया।


हिंदी मजेदार कहानियां बच्चों के लिए : संपेरा और बंदर


एक बार की बात है। किसी छोटे से गांव में एक संपेरा रहता था। उसके पास कुछ सांप और एक बंदर था। वह गांवों में घूम-घूम कर इन जानवरों का खेल दिखाता और अपना पेट भरता। पर वह संपेरा अपने जानवरों के प्रति बहुत बेरहमी दिखाता था । ? वह उन्हें कभी पेट भर कर भोजन नहीं देता था और प्रायः उनकी पिटाई लगाता। जानवर उससे बहुत दुखी रहते थे।

एक दिन, संपेरे ने बिना किसी वजह के अपने बंदर को बुरी तरह से पीटा। बंदर वहां से भाग गया और लौट कर कभी वापिस नहीं आया। संपेरा अपना खेल दिखाता रहा। लोगों को अब उसे तमाशे में मजा नहीं आता था। वह ज्यादा धन भी नहीं कमा पाता था। उसे समझ आ गया कि लोग बंदर के कारण उसका खेल पसंद करते थे। संपेरे ने बंदर की तलाश की तो वह उसे एक पेड़ पर बैठा दिखाई दिया। उसने आंखों में आंसू भर कर कहा, "मेरे प्यारे बंदर ! मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है । "

बंदर ने जवाब दिया, “तुम्हें मेरी कोई याद नहीं आती। तुम मुझे इसलिए लेने आए हो क्योंकि मेरे बिना तुम्हारे खेल को कोई पसंद नहीं करता।" बंदर ने कहा और वहां से ओझल हो गया। संपेरे को अपनी भूल का एहसास हुआ और वह अपने पालतू पशुओं के प्रति दयालु हो गया। उसे समझ आ गया था कि उसके पशुओं के कारण ही उसका पेट भरता था।

हिंदी मजेदार कहानियां बच्चों के लिए : पंडित का बदला


एक राजा के पास सुंदर सा बाग था। वहां बहुत से बंदर रहते थे। एक दिन, राजा के दरबार का पंडित वहां से जा रहा था। एक शरारती बंदर उसे देख कर मुंह चिढ़ाने लगा। पंडित को बहुत गुस्सा आया और उसने तय किया कि वह बंदरों से बदला ले कर ही रहेगा।

बंदरों का राजा यह देख कर परेशान हो गया। उसने अपने बंदरों से कहा कि उन्हें वह बाग छोड़ कर चले जाना चाहिए क्योंकि उन सबकी जान खतरे में थी । कई बंदर तो जाने के लिए मान गए पर कुछ हठी बंदर वहीं डटे रहे। वे बाग में ही रहना चाहते थे। 

कुछ ही दिन बाद, राजा के अस्तबल में आग लगी। कई घोड़े इस आग में झुलस गए। राजा ने अपने पंडित को बुला कर पूछा कि घोड़ों को जल्दी अच्छा करने के लिए क्या उपाय करना चाहिए। पंडित को अपना बदला लेने का मौका मिल गया। उसने राजा से कहा, “हम घोड़ों के घाव भरने के लिए बंदरों की चर्बी का प्रयोग कर सकते हैं। "

राजा ने आदेश दे दिया कि बाग में रहने वाले बंदरों को मार कर, उनकी चर्बी से घोड़ों का इलाज किया जाए।

इस तरह, जिन बंदरों ने अपने राजा की सलाह नहीं मानी थी। उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। अगर हमें कोई अच्छी सलाह दे तो उसका पालन करना चाहिए।

हिंदी मजेदार कहानियां बच्चों के लिए : सुनहरे पंखों वाला हंस


बहुत समय पहले की बात है। किसी तालाब में सुनहरे पंखों वाला हंस रहता था। उसी तालाब के पास एक औरत अपनी दो बेटियों के साथ रहती थी। वह बहुत गरीब था।

परिवार का पेट भी मुश्किल से भरता था। हंस ने सोचा, “अगर मैं इन्हें अपने सुनहरे पंख दूंगा तो इन्हें अच्छा लगेगा। ये उन्हें बेच कर धन कमा सकेंगे। "

हंस ने जा कर यह बात उस गरीब औरत को बता दी। यह सुन कर वह औरत बहुत खुश हुई। इसके बाद, वह हंस हर रोज एक सुनहरा पंख उन्हें देने लगा।

मां और बेटियां उसे बेच कर अपने खाने-पीने के लिए सामान ले आतीं। पर एक दिन उस औरत के मन में लालच आ गया। जब हंस पास आया तो वह उसे पकड़ कर, उसके पंख नोचने लगी। पर अचानक ही सुनहरे पंख, सामान्य पंखों में बदल गए। वह तो हैरान रह गई।

हंस ने कहा, "मैं तुम्हारी मदद करना चाहता था पर तुम्हारे मन में लालच आ गया। अब मैं यहां से चला जाऊंगा और कभी वापिस नहीं आऊंगा । "

उस औरत को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह हंस से माफी मांगने लगी। हंस ने उसे सलाह दी, "इसके बाद कभी लालच मत करना । " यह कह कर, वह वहां से उड़ गया।

हिंदी मजेदार कहानियां बच्चों के लिए : बेकार की बहस


एक बार दो दोस्त जंगल में रहते थे- एक शेर और एक चीता। वे बहुत खुशी-खुशी एक साथ रहते थे। वहीं समीप में ही एक साधु का आश्रम था। एक दिन, दोनों दोस्त यूं ही, बेकार की बहस में उलझ गए। चीते ने कहा, "जब चांद पूर्णिमा से अमावस की ओर जाता है तो ठंड होती है । "

शेर ने जवाब दिया, “नहीं, जब चांद अमावस से पूर्णिमा की ओर जाता है तो ठंड होती है।" इस बेकार की बहस ने जल्द ही लड़ाई का रूप ले लिया। तभी अचानक, उन दोनों को लगा कि अगर वे ऐसे ही लड़ते रहे तो वे आपस में दुश्मन बन जाएंगे।

इस तरह उन्होंने आपस में लड़ना बंद किया और तय किया कि वे साधु से इस बारे में पूछेंगे। वे साधु के आश्रम की ओर चल दिए और उन्हें सारी बात बताई।

साधु ने उन्हें उत्तर दिया, “चांद के कारण नहीं बल्कि हवा के कारण ठंड होती है। तुम ऐसी बेकार की बहसों के कारण अपनी दोस्ती मत गंवाओ। हमेशा अपनी एकता बनाए रखो । "

शेर और चीते को समझ आ गय कि साधु उनसे क्या कहना चाहते थे। उन्होंने उन्हें धन्यवाद दिया और उसके बाद अच्छे दोस्तों की तरह मजे से रहने लगे। उन्हें समझ आ गया था कि बेहार की बहसबाजी से किसी को कोई लाभ नहीं होता।

हिंदी मजेदार कहानियां बच्चों के लिए : चतुर भेड़िया


कुछ लोग दोपहर के समय जंगल में घूमने गए। वे सब जंगल में पहुंचते-पहुंचते इतना थक गए कि उन्होंने जल्दी से अपने साथ लाया हुआ सारा भोजन खत्म कर दिया।

इसके बाद वे सब सोने चले गए। सुबह-सुबह उनकी आंख खुली। उन सभी को फिर से भूख लगने लगी थी।

उनमें से एक ने कहा, “मैं खाने के लिए कुछ ले कर आता हूं।" उसने अपने हाथ में एक लाठी ली और उस झील पर जा पहुंचा, जहां पशु पानी पीने आते थे। वह एक पेड़ के नीचे बैठ कर ऐसा दिखावा करने लगा मानो सो रहा हो।

कुछ ही देर बाद, भेड़ियों का एक झुंड पानी पीने आया। उन्होंने उसे सोता हुआ देखा। उस झुंड का मुखिया बहुत सयाना था।

उसने दूसरे भेड़ियों से कहा, "यह व्यक्ति सो नहीं रहा। वह इसी इंतजार में है कि जैसे ही कोई जानवर पानी पीने आएगा तो यह उसे पकड़ लेगा।" अपनी बात को साबित करने के लिए, वह अकेला ही उस व्यक्ति के पास गया। वह व्यक्ति झट से उठ खड़ा हुआ और अपनी लाठी भेड़िए को दे मारी। पर भेड़िया चौकन्ना था। उसने वार बचाया और वहां से भाग निकला। इस तरह उसने अपने दल की जान बचा ली। हमें हमेशा आसपास के माहौल के लिए चौकन्ने रहना चाहिए।

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