ग्राम्य जीवन अधिकांशतः कृषि आधारित जीवन है। सूखे पड़े खेतों को देख शांत पड़े कृषकों को वर्षा होने की प्रतीक्षा रहती है। वर्षा न होने तक कृषक उदासीन रहते हैं। आषाढ़ मास में जैसे ही आकाश बादल से घिर जाते हैं, वैसे ही उदासीन मन प्रफुल्लित हो उठते हैं। इसी महीने में किसान धान की रोपनी करते हैं और बरसात धान के फसल के लिए बहुत जरूरी होती है। जैसे ही रिमझिम बारिश होती है, सूखी धरती की प्यास बुझती है, वैसे ही संपूर्ण ग्राम्य जीवन उल्लास से भर जाता है। आषाढ़ की फुहार के साथ ही सारा गाँव खेत में दिखाई देने लगता था।
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