लेखक नवाब साहब के जबड़ों के स्फुरण को देखकर क्या अनुभव कर रहे थे?

प्रश्न:

लेखक नवाब साहब के जबड़ों के स्फुरण को देखकर क्या अनुभव कर रहे थे? अपने सामने खीरों को देखकर मुँह में पानी आने पर भी उन्होंने खीरे खाने के लिये नवाब साहब के अनुरोध को स्वीकृत क्यों नहीं किया?

उत्तर :

लेखक नवाब साहब के जबड़ों के स्फुरण को देखकर उनकी वास्तविक स्थिति को समझ चुके थे। वे उनकी झूठी शान की असलियत को भांप गए थे। खीरा खाने के लिए ये आरंभ में मना कर चुके थे। अतः मुँह में पानी आने पर भी अपने आत्मसम्मान की खातिर उन्होंने खीरा खाने के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया।

Comments

Popular posts from this blog

"उनका बेटा बीमार है, इसकी खबर रखने की लोगों को कहाँ फुरसत ? पंक्ति में आधुनिक युग के मानव की किस मानसिकता पर व्यंग्य किया गया है?