फ़ादर कामिल बुल्के एक संन्यासी थे, परन्तु पारंपरिक अर्थ में हम उन्हें संन्यासी क्यों नहीं कह सकते ?
लेखक ने फ़ादर कामिल बुल्के की उपस्थिति को देवदार की छाया के सदृश्य इसलिए कहा है क्योंकि फ़ादर का विशाल व्यक्तित्व मिलने वालों को शांति, सुकून, आशीर्वाद, प्यार एवं अपनत्व से भर देता था।
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