छायावादी हिंदी कविता की प्रवृत्तियाँ Chhayawad yugeen hindi kavita ki pravrttiyaan

1. राष्ट्रीयता और स्वाधीनता की चेतना के साथ जनजागरण की देशव्यापी लहर को आमजन तक कविता के माध्यम से पहुंचाने का कार्य छायावादी कविता ने किया।
2. नागरिक स्वतंत्रता की भावना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पुकार के साथ व्यक्तिगत स्वाधीनता की भावना को भी छायावाद में प्रमुखता मिली।
3. पुरातन सामाजिक रूढ़ियों, पवित्रतावादी नैतिक बंधकों और आचार-व्यवहार के विरुद्ध विद्रोह का स्वर छायावादी कविता में मौजूद है।
4. रोमांटिसिज्म, प्रेम और प्रणय के चित्र इस दौर की कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों में से हैं। यह प्रेम व्यक्तिगत राग की अभिव्यक्ति मात्र न होकर सामंतवादी दृष्टि और बंधनों के विरुद्ध विद्रोह का जयघोष भी है।
5. प्रकृति का उन्मुक्त चित्रण जितना छायावाद में हुआ इतना हिंदी कविता केकिसी भी दौर में नहीं हुआ। यह प्रकृति सिर्फ प्रणय की स्थली न होकर स्वछंदता, गतिशीलता और मनुष्य अंतर्मन का विस्तार भी है। प्रकृति के साथ जितने भी तरह के चित्र, भाव और संबंध मानव जीवन के हो सकते हैं, वे बस इस कविता में मौजूद हैं।
6. आंतरिक स्पर्श से पुलकित भावों को स्थान देने के लिए प्रचुर कल्पनाशीलता छायावादी काव्य की विशेषता है। छायावादी कवि कल्पना के पंखों पर बैठकर अनंत में विहार कर पाने में समर्थ है।

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